हावड़ा विद्यार्धी मंच का साहित्यिक अड्डा

हावड़ा विद्यार्थी मंच के साहित्यिक अड्डे में 9 नवंबर 2025 को मुक्तांचल पत्रिका और गाथा प्रकाशन द्वारा वरिष्ठ कवि जगदीश नलिन के सम्मान में एक गरिमामय गोष्ठी आयोजित हुई। शैलेंद्र शांत व अन्य रचनाकारों के प्रभावशाली पाठ, महेश जायसवाल द्वारा 20 वर्ष पुराने पत्र का पुनर्पाठ, और युवा पीढ़ी की सहभागिता ने कार्यक्रम को विशेष बनाया।

Nov 10, 2025 - 15:09
Nov 10, 2025 - 16:06
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हावड़ा विद्यार्धी मंच का साहित्यिक अड्डा
गोष्टी में उपस्थित साहित्यकार

हावड़ा : मुक्तांचल पत्रिका एवं गाथा प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में 9 नवंबर 2025 को पत्रिका की संपादक डॉ. मीरा सिन्हा ने एक गरिमामय गोष्ठी का आयोजन किया। यह आयोजन बिहार से कोलकाता प्रवास पर आए वरिष्ठ कवि, अनुवादक एवं संवेदनशील रचनाकार जगदीश नलिन के सम्मान में समर्पित था। कोलकाता पधारे साहित्यकारों के साथ ऐसे साहित्यिक संवादों का आयोजन डॉ. मीरा सिन्हा निरंतर करती रही हैं। यद्यपि स्वास्थ्य प्रतिकूल होने के कारण नलिन जी स्वयं उपस्थित नहीं हो सके, फिर भी कवि शैलेंद्र शांत द्वारा उनकी सद्य लिखित कविता ‘जिजीविषा नहीं मरेगी’ सहित अनेक रचनाओं का ओजस्वी पाठ ऐसा था कि लगा मानो नलिन जी स्वयं अड्डे में विराजमान हों। गोष्ठी में शैलेंद्र शांत के नवीनतम काव्य-संग्रह ‘चकाचौंध का अँधेरा’ (द्वितीय खंड) की कविताओं का पाठ स्वयं कवि एवं प्रो. शुभ्रा उपाध्याय ने किया।

कार्यक्रम की एक विशेष स्मरणीय घटना यह रही कि वरिष्ठ रंगकर्मी व कवि महेश जायसवाल ने 20 वर्ष पूर्व (2005) शैलेंद्र शांत के दूसरे काव्य-संग्रह ‘मैं हूँ तुम्हारी कविता’ पर लिखे गए अपने पत्र को पुनः प्रस्तुत किया। इस ऐतिहासिक पत्र की सह-प्रस्तुतकर्ता उस समय कवयित्री मंजु श्रीवास्तव थीं। उस पुराने आयोजन में ध्रुवदेव मिश्र ‘पाषाण’, चंद्रकला पांडेय और विमलेश्वर जैसे रचनाकारों की प्रेरक उपस्थिति रही थी।

जायसवाल ने बताया कि उन्होंने उस पत्र को दो दशकों तक सहेजकर रखा और जैसे ही नलिन जी के सम्मान में आयोजित इस गोष्ठी की सूचना मिली, उन्होंने अपनी नई कविता के स्थान पर उसी पत्र का पुनर्पाठ करने का निर्णय लिया। शैलेंद्र शांत ने इस पर गहरी भावनात्मकता के साथ कहा, यह मेरे प्रति आपकी आत्मीयता और स्मृतियों के संरक्षण का अनुपम उदाहरण है।”

गोष्ठी में प्रसिद्ध कथाकार एवं ग़ज़लकार सेराज़ ख़ान ‘बातिस’, राज्यवर्धन, डॉ. शुभ्रा उपाध्याय, डॉ. विजया सिंह, सुशील पांडेय ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया। कक्षा 8 के छात्र स्वराज पाण्डेय द्वारा बाबा नागार्जुन की कविता ‘शासन की बंदूक’ का सस्वर पाठ विशेष रूप से सराहा गया और यह नई पीढ़ी के साहित्यिक संस्कारों का प्रमाण है। कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित रचनाकारों ने कवि जगदीश नलिन के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि उनका साहित्य आज भी नई पीढ़ी को ऊर्जा, चेतना और आशा से भर देता है।"

गोष्ठी का कुशल संचालन संस्था के सह-सचिव विनोद यादव ने किया तथा पद्माकर व्यास ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

कार्यक्रम में डॉ. विनय मिश्र, बलराम साव, शशि साव सहित अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।

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