कानपुर: चकेरी SHO पर उन्हीं के थाने में FIR, हाईकोर्ट आदेश के बाद जाँच शुरू

कानपुर के चकेरी थाना प्रभारी संतोष शुक्ला पर उन्हीं के थाने में हाईकोर्ट आदेश पर FIR दर्ज। आरोप ज़मीन विवाद में अवैध कब्ज़ा, तोड़फोड़ व लूट। पुलिस ने जाँच शुरू होने की पुष्टि की। BNS 115, 191, 305, 310, 324(4), 331 धाराएँ।

Sep 3, 2025 - 08:29
Sep 3, 2025 - 18:30
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कानपुर: चकेरी SHO पर उन्हीं के थाने में FIR, हाईकोर्ट आदेश के बाद जाँच शुरू
संतोष कुमार शुक्ला और अंकित खटाना

03 सितंबर 2025, कानपुर। कानपुर के चकेरी थाना प्रभारी संतोष कुमार शुक्ला के ख़िलाफ़ उन्हीं के थाने में एफआईआर दर्ज हुई है। आरोप है कि 29 मार्च 2025 को एक लंबित स्वामित्व विवाद में पुलिस बल के साथ पहुँचकर दूसरे पक्ष को अवैध कब्ज़ा दिलाया गया, तोड़फोड़ व लूटपाट हुई और पीड़ित पक्ष पर शांतिभंग की कार्रवाई कर दी गई। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ; पुलिस ने जाँच शुरू करने की पुष्टि की है।

क्या है मामला?

शिकायतकर्ता: चंद्रनगर, लालबंगला निवासी संगीता जायसवाल (पति संजय जायसवाल)। इनके प्लॉट/भवन का स्वामित्व विवाद पड़ोसी सुशील व अभिषेक वर्मा/वार्ष्णेय से 2023 से FTC (सीनियर डिवीजन) और हाईकोर्ट में लंबित है।

आरोप: 29 मार्च 2025 को दोपहर करीब 2 बजे थाना प्रभारी संतोष कुमार शुक्ला, तत्कालीन सनिगवां चौकी प्रभारी अंकित खटाना, योगी बिल्डर और धर्मेंद्र यादव लगभग 30–40 अज्ञात लोगों व पुलिस बल के साथ आए; दीवार व मेन गेट तोड़कर कब्ज़ा दिलाया; घर में सामान, नक़दी व जेवरात उठाए; रिश्तेदारों को लाठी-डंडों से पीटा; बाद में इन्हीं पर शांतिभंग की कार्रवाई कर दी। लैपटॉप/मोबाइल छीने जाने और करीब ₹1.5 करोड़ के माल को ट्रकों में भरवाने का भी आरोप है। शिकायतकर्ता का कहना है कि CCTV साक्ष्य उपलब्ध हैं।

कब और कैसे दर्ज हुई FIR?

आधार: हाईकोर्ट में दायर अवमानना वाद की सुनवाई के बाद पुलिस आयुक्त के आदेश पर मंगलवार, 02 सितंबर 2025 की दोपहर चकेरी थाने में मामला दर्ज किया गया।

पुलिस का पक्ष: डीसीपी पूर्वी सत्यजीत गुप्ता ने पुष्टि की कि हाईकोर्ट के आदेश पर SHO, पूर्व चौकी प्रभारी, एक बिल्डर व एक अन्य सहित करीब 40 अज्ञात पर सात धाराओं में रिपोर्ट दर्ज हुई है। एसीपी चकेरी आशुतोष पांडेय के मुताबिक जाँच शुरू कर दी गई है।

 किन धाराओं में केस?

एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की ये प्रमुख धाराएँ बताई गईं:

 धारा 191 – दंगा/उपद्रव (Rioting)

 धारा 115 – स्वेच्छया चोट पहुँचाना (Voluntarily causing hurt)

 धारा 324(4) – शरारत/मिशचिफ़ से ₹20,000 से < ₹1,00,000 तक की क्षति।

 धारा 305 – आवास/भवन/परिवहन साधन में चोरी (theft in dwelling/transport)

 धारा 310 – डकैती (Dacoity)

 धारा 331 – हाउस-ट्रेसपास/हाउस-ब्रेकिंग से सम्बंधित दंड।

पृष्ठभूमि

संपत्ति/स्वामित्व विवाद FTC (सीनियर डिवीजन), कानपुर नगर और हाईकोर्ट में लंबित बताया गया है, यानी दीवानी विवाद के समानांतर आपराधिक आरोप उभरे हैं। जाँच में यह परखा जाएगा कि कथित पुलिस कार्रवाई न्यायालय/प्राधिकृत आदेश के बिना हुई या नहीं, और कथित लूट/क्षति के साक्ष्य (CCTV, बिल, स्टॉक रजिस्टर, मेडिकल) कितने पुष्ट हैं।

आगे क्या?

एसीपी-स्तरीय जाँच के बाद साक्ष्यों के संग्रह (CCTV फुटेज, कॉल डिटेल रिकॉर्ड, मौके का मुआयना, क्षति-आकलन, मेडिकल/MLC, दस्तावेज़ी रिकॉर्ड) पर कार्रवाई तय होगी। चूँकि, डकैती (BNS 310) व हाउस-ट्रेसपास/ब्रेकिंग (BNS 331) जैसी गंभीर, संज्ञेय धाराएँ लगी हैं, जाँच में कमान्ड रिस्पॉन्सिबिलिटी और थाने की रिकॉर्डिंग/डीडी-एंट्री भी महत्वपूर्ण रहेंगी।

नोट: ऊपर की धाराएँ समाचार रिपोर्टों में वर्णित प्रावधानों के अनुरूप हैं; विस्तृत उपखंड/क्लॉज़ (जैसे 191(2), 324(4) आदि) की भाषा जाँच के दौरान स्पष्ट होगी। एफआईआर की प्रमाणित प्रति उपलब्ध होते ही सटीक शब्दावली की पुष्टि की जा सकती है।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I