धर्मस्थल सामूहिक दफन मामला: मीडिया पर लगा बैन हटा, अदालत ने मंदिर प्रशासन की अर्जी खारिज की
बेंगलुरु की एक सिविल और सेशंस कोर्ट ने धर्मस्थल मंदिर प्रशासन की मीडिया रिपोर्टिंग पर लगी रोक जारी रखने की अर्जी को बुधवार को खारिज कर दिया। इसके साथ ही सामूहिक दफन के आरोपों पर खबरें प्रसारित करने पर लगा पूर्व प्रतिबंध समाप्त हो गया। मामला पूर्व सफाईकर्मी के गंभीर आरोपों से जुड़ा है, जिसमें उसने लगभग दो दशक तक कई शव, जिनमें महिलाओं के शव भी शामिल थे, दफनाने के लिए मजबूर किए जाने की बात कही थी। इससे पहले अदालत ने 8,842 कथित मानहानिकारक लिंक पर रोक लगाई थी।

बेंगलुरु। धर्मस्थल मण्जूनाथेश्वर मंदिर से जुड़े सामूहिक दफन मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर लगी रोक हटा दी गई है। बुधवार को बेंगलुरु की अतिरिक्त सिटी सिविल और सेशंस जज अनीता एम ने मंदिर प्रशासन की अर्जी खारिज कर दी, जिसमें मीडिया पर प्रतिबंध बढ़ाने की मांग की गई थी। इस फैसले के बाद पूर्व में जारी ‘गैग ऑर्डर’ अब समाप्त हो गया है। विस्तृत आदेश जल्द जारी होगा।
यह मामला उस समय चर्चा में आया था, जब मंदिर के एक पूर्व सफाईकर्मी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसे लगभग 20 वर्षों तक कई शव, जिनमें महिलाओं के शव भी शामिल थे, दफनाने के लिए मजबूर किया गया। शिकायत में किसी व्यक्ति का नाम आरोपी के रूप में दर्ज नहीं था, लेकिन खुलासे के बाद मीडिया और जनचर्चा में यह मुद्दा तेजी से फैल गया।
मंदिर संस्थान के सचिव हर्षेंद्र कुमार ने इसके बाद बेंगलुरु सेशंस कोर्ट में दीवानी मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसमें 8,842 लिंक को मानहानिकारक बताया गया था। इनमें 4,140 यूट्यूब वीडियो, 932 फेसबुक पोस्ट, 3,584 इंस्टाग्राम पोस्ट, 108 समाचार लेख, 37 रेडिट पोस्ट और 41 ट्वीट शामिल थे। अदालत ने 21 जुलाई को सभी मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिपोर्टिंग पर अस्थायी रोक लगा दी थी, जो 5 अगस्त तक लागू थी।
बाद में कर्नाटक हाईकोर्ट ने यूट्यूब चैनल ‘कुडला Rampage’ पर लगी रोक को हटा दिया था, लेकिन बाकी मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन जारी रहा। इसी बीच पत्रकार नवीन सूरिंजे ने बताया कि जज विजय कुमार राय, जिन्होंने पहले गैग ऑर्डर जारी किया था, 1995-1998 बैच में एसडीएम लॉ कॉलेज, मंगलुरु के छात्र रहे थे, जिसे धर्मस्थल ट्रस्ट संचालित करता है। इसके बाद मामला जज अनीता एम के पास आया।
बुधवार को सुनवाई के दौरान हर्षेंद्र कुमार ने ‘कुडला Rampage’ को छोड़कर बाकी सभी प्रतिवादियों पर रोक बढ़ाने की मांग की। उनका तर्क था कि हाईकोर्ट का आदेश केवल ‘कुडला Rampage’ के लिए था। हालांकि, ‘कुडला Rampage’ की वकील साक्षी सतीश ने कहा कि हाईकोर्ट ने पूरे आदेश को सिविल प्रक्रिया संहिता के उल्लंघन के आधार पर अवैध माना है। अदालत ने मंदिर प्रशासन की दलील खारिज करते हुए प्रतिबंध बढ़ाने से इनकार कर दिया।
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