आचार्य बालकृष्ण को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में कार्यवाही पर लगाई रोक
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद से जुड़ी दिव्य फार्मेसी और उसके सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन के मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की पीठ ने दिव्य फार्मेसी और बालकृष्ण की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया। याचिका में कहा गया था कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनबल एडवर्टाइजमेंट्स) एक्ट, 1954 के तहत निजी शिकायत के आधार पर मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती और पुलिस शिकायत होनी चाहिए। मामले में दिव्य फार्मेसी के दो उत्पादों एक ब्लड प्रेशर और दूसरा डायबिटीज के इलाज के विज्ञापनों को लेकर आपत्ति जताई गई थी।

पतंजलि आयुर्वेद की सहयोगी कंपनी दिव्य फार्मेसी और उसके सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापनों के आरोप पर कर्नाटक उच्च न्यायालय में चल रहा है। मामले में आरोप है कि दिव्य फार्मेसी के उत्पादों के विज्ञापनों में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के निराधार दावे किए गए थे। इसके अलावा, इन विज्ञापनों में एलोपैथी सहित आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को अपमानित करने के भी आरोप लगे हैं।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की पीठ ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह आदेश दिव्य फार्मेसी और आचार्य बालकृष्ण की ओर से दायर याचिका पर दिया गया, जिसमें तर्क दिया गया था कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनबल एडवर्टाइजमेंट्स) एक्ट, 1954 के तहत निजी शिकायत के आधार पर मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती, बल्कि पुलिस शिकायत के आधार पर ही कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने इसी आधार पर कार्यवाही पर रोक लगा दी।
मुख्य बिंदु :
- मामला: दिव्य फार्मेसी (पतंजलि आयुर्वेद की सहयोगी कंपनी) और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन के आरोप में निचली अदालत में कार्यवाही चल रही थी।
- आरोप: विज्ञापनों में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के इलाज के निराधार दावे किए गए थे।
- हाईकोर्ट का आदेश: कर्नाटक हाईकोर्ट ने 24 जून, 2025 को न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की अगुवाई में कार्यवाही पर रोक लगा दी।
- याचिका का आधार: याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनबल एडवर्टाइजमेंट्स) एक्ट, 1954 के तहत निजी शिकायत पर मामला चलाया जाना गलत है, पुलिस शिकायत होनी चाहिए।
- पीठ: न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार।
- वकील: दिव्य फार्मेसी और आचार्य बालकृष्ण की ओर से सीनियर एडवोकेट संदेश चौता ने पैरवी की।
- अन्य मामले: केरल सहित कई राज्यों में भी पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के खिलाफ इसी तरह के मामले चल रहे हैं।
इस मामले की पृष्ठभूमि में यह भी है कि दिव्य फार्मेसी और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ केरल सहित कई राज्यों में भी भ्रामक विज्ञापन के मामले लंबित हैं। केरल में पलक्कड़ जिले की अदालत ने दिव्य फार्मेसी, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ जमानती और बाद में गैर-जमानती वारंट भी जारी किए थे, क्योंकि वे अदालत में पेश नहीं हुए थे। इन मामलों में केरल के ड्रग्स इंस्पेक्टर ने आरोप लगाया है कि दिव्य फार्मेसी ने भ्रामक चिकित्सा विज्ञापन प्रकाशित किए, जिससे उपभोक्ताओं को गलत जानकारी मिली।
इसी तरह का एक मामला कोझिकोड में भी लंबित है, जहां आरोप है कि विज्ञापनों में बीमारियों के इलाज के निराधार दावे किए गए और आधुनिक चिकित्सा को अपमानित किया गया। सुप्रीम कोर्ट में भी पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रमुखों के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन के मामले में अवमानना की कार्यवाही चल रही है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनबल एडवर्टाइजमेंट्स) अधिनियम के उल्लंघन के लिए कार्रवाई की मांग की है।
इस पूरे मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाकर कानूनी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया है। अब दिव्य फार्मेसी और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ कार्यवाही तब तक रुकी रहेगी, जब तक हाईकोर्ट मामले की सुनवाई पूरी नहीं कर लेता।
इस मामले में दिव्य फार्मेसी और आचार्य बालकृष्ण का पक्ष यह है कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट के तहत निजी शिकायत के आधार पर मामला चलाया जाना उचित नहीं है। उनका तर्क है कि ऐसे मामले में पुलिस शिकायत के आधार पर ही कार्रवाई होनी चाहिए। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
यह मामला भ्रामक विज्ञापन, चिकित्सा के दावों और कानूनी प्रक्रिया से जुड़ा है, जिसमें कई राज्यों की अदालतों और सुप्रीम कोर्ट में भी कार्यवाही चल रही है। कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश इस मामले में एक महत्वपूर्ण विकास है, जिसने निचली अदालत की कार्यवाही को रोक दिया है।
What's Your Reaction?






