वरिष्ठ अधिवक्ता बनते ही केस छोड़ना 'बिल्कुल अनैतिक': सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के बाद मामलों से हटने की प्रवृत्ति को “बिलकुल अनैतिक” बताया है। न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने स्पष्ट किया कि अधिवक्ता द्वारा लिए गए मामलों की जिम्मेदारी से पीछे हटना न्यायिक मर्यादाओं के विरुद्ध है। यह चलन केवल सुप्रीम कोर्ट में ही दिखता है, जो चिंताजनक है।

Jun 5, 2025 - 05:45
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वरिष्ठ अधिवक्ता बनते ही केस छोड़ना 'बिल्कुल अनैतिक': सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
वकील, सर्वोच्च न्यायालय

सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित होने के बाद वकीलों द्वारा पूर्व में लिए गए मामलों से हटने की प्रवृत्ति को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है। न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान इस प्रथा को "बिलकुल अनैतिक" करार दिया।

यह टिप्पणी उस समय आई जब एक मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ। कोर्ट रूम में मौजूद एक अधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया कि संबंधित एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AOR) हाल ही में वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) नामित हुए हैं।

इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा: यह हाल की एक नई और चिंताजनक प्रवृत्ति है। यदि कोई वकील वरिष्ठ अधिवक्ता बनता है तो क्या उसे अपने पुराने मुवक्किलों को छोड़ देना चाहिए? यह अत्यंत अनैतिक व्यवहार है। आपने जब जिम्मेदारी ली है, तो वरिष्ठता के साथ उस दायित्व को निभाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि इस प्रकार की प्रवृत्ति केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही देखी जा रही है, जबकि अन्य अदालतों में ऐसा देखने को नहीं मिलता।

अपने अनुभव को साझा करते हुए न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता नामित होने के बाद भी उन्होंने सरकार से विशेष अनुमति लेकर एक लंबित मामले में पेशी दी थी।

उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट में यह चलन बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अनैतिक है।

कोर्ट में उपस्थित एक अन्य वकील ने इस बात पर ज़ोर दिया कि एओआर का यह कर्तव्य है कि वह मुवक्किल को बदलाव की जानकारी दे और प्रक्रिया को व्यवस्थित करे।

इस पर सहमति जताते हुए न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि इस प्रकार के बिना जवाबदेही के किए गए परित्याग की प्रवृत्ति गंभीर चिंता का विषय है।

उन्होंने उपस्थित अधिवक्ताओं से कहा कि कृपया यह संदेश संबंधित वकील तक पहुँचा दें कि अदालत ने इस तरह के आचरण पर गंभीर असंतोष व्यक्त किया है।

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