अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ सेना का अपमान नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज की
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी द्वारा सेना पर की गई टिप्पणी के खिलाफ लखनऊ कोर्ट के समन को वैध ठहराते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सेना जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के अपमान की छूट नहीं देती।

प्रयागराज, जून 2025: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय सेना जैसे संस्थानों के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणियाँ करने की अनुमति नहीं देता।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी द्वारा उस याचिका को खारिज करते समय की गई, जिसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लखनऊ की एक अदालत द्वारा उनके खिलाफ जारी समन आदेश को चुनौती देते हुए दाखिल किया था। यह मामला 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कथित रूप से भारतीय सेना के खिलाफ दिए गए बयान से जुड़ा है।
राहुल गांधी पर आरोप है कि उन्होंने कहा था: “चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जवानों की पिटाई कर रहे हैं।”
यह कथन सरकार की नीतियों पर निशाना साधते हुए दिया गया था, लेकिन शिकायतकर्ता सीमा सड़क संगठन (BRO) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त कर्नल रैंक) ने इसे सेना के अपमान के रूप में लिया और उनके वकील विवेक तिवारी के माध्यम से मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई।
लखनऊ के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने गांधी को 24 मार्च को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने इस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा: “संविधान द्वारा प्रदत्त भाषण की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है। ऐसे वक्तव्य जो भारतीय सेना या किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं, उनकी अनुमति नहीं दी जा सकती।”
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही शिकायतकर्ता घटना का प्रत्यक्ष शिकार न हो, फिर भी यदि वह बयान से आहत हुआ है और उस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, तो वह सीआरपीसी की धारा 199(1) के तहत ‘पीड़ित’ व्यक्ति माने जाने के योग्य है।
अदालत ने यह कहते हुए समन आदेश को वैध ठहराया कि: “निचली अदालत ने समस्त तथ्यों का संज्ञान लेकर प्रथम दृष्टया अपराध की पुष्टि की है और समन आदेश में कोई कानूनी खामी नहीं है।”
इस प्रकार, अदालत ने स्पष्ट किया कि इस स्तर पर बयान की सच्चाई या मंशा पर विचार ट्रायल कोर्ट का विषय है, और याचिका खारिज कर दी गई।
गांधी की ओर से पेश अधिवक्ता: मोहम्मद यासिर अब्बासी, मोहम्मद समर अंसारी, प्रांशु अग्रवाल
राज्य की ओर से पेश: अपर महाधिवक्ता वी. के. सिंह, सरकारी अधिवक्ता अनुराग वर्मा, अधिवक्ता शिवेंद्र शिवम सिंह राठौर
उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी के खिलाफ विभिन्न अदालतों में अनेक मानहानि व आपराधिक मामले लंबित हैं। जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्री अमित शाह पर ‘हत्या का आरोपी’ कहे जाने के मामले में गांधी के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
साथ ही, सावरकर को लेकर दिए गए एक और बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गांधी को गैर-जिम्मेदाराना भाषा से बचने की चेतावनी दी थी, हालांकि उस मामले में समन पर रोक लगी रही।
What's Your Reaction?






