नव केरल सदास भाषण पर विवाद: केरल हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री विजयन को दी राहत

केरल उच्च न्यायालय ने नवा केरल सदास भाषण को लेकर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में तीन महीने की अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण की इस अंतरिम रोक का उद्देश्य मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज संज्ञान और आगे की कार्यवाही को गहराई से जाँचना है।

Jul 19, 2025 - 10:30
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नव केरल सदास भाषण पर विवाद: केरल हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री विजयन को दी राहत
केरल उच्च न्यायालय और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन

केरल हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ नव केरल सदास भाषण मामले में एर्नाकुलम मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाही पर तीन माह की अंतरिम रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री पर राजनीतिक हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे, लेकिन पुलिस जांच में उनके खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिला।

घटना की पृष्ठभूमि

 20 नवंबर 2023: केरल की 'नवा केरल सदास' यात्रा के दौरान युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के काफिले को रोकने की कोशिश की थी।

 21 नवंबर 2023: मुख्यमंत्री विजयन ने कन्नूर में भाषण देते हुए उन राहगीरों की प्रशंसा की, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को चलती बस के सामने गिरने से रोका और उनके कार्य को 'जीवन रक्षक' बताया। इसके बाद, मलप्पुरम, एर्नाकुलम व अलप्पुझा में तीन अलग-अलग राजनीतिक हिंसा की घटनाएं हुईं, जिनमें अज्ञात व्यक्तियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई, लेकिन इनमें मुख्यमंत्री का नाम नहीं लिया गया।

मजिस्ट्रेट का आदेश vs पुलिस रिपोर्ट

कांग्रेस नेता मुहम्मद शियास द्वारा दर्ज शिकायत में मुख्यमंत्री के भाषण को हिंसा भड़काने वाला बताया गया।

पुलिस ने सीआरपीसी धारा 202 के तहत नकारात्मक रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि भाषण और हिंसा के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं था।

इसके बावजूद, एर्नाकुलम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने प्राथमिकी स्वीकार कर मामले को आगे भेजने का आदेश दिया और निर्देश दिया कि मुकदमा तभी आगे बढ़ेगा जब राज्यपाल की अनुमति (धारा 197 CrPC) मिले ।

मुख्यमंत्री की चुनौती और हाईकोर्ट का निर्णय

मुख्यमंत्री की याचिका का तर्क:

1. क्षेत्राधिकार की सीमा: मजिस्ट्रेट का यह आदेश गलत है क्योंकि घटना कन्नूर में हुई और एर्नाकुलम का न्यायालय इसमें क्यों संज्ञान ले सकता था ।

2. निहित तत्व का अभाव: भाषण केवल जीवन रक्षा के कृत्यों की प्रशंसा करता है, न कि हिंसा या प्रतिशोध के लिए प्रेरित करता है ।

3. पुलिस ने कोई साक्ष्य नहीं पाया: सीआरपीसी 202 रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि मुख्यमंत्री और हिंसा के बीच किसी प्रकार का संबंध स्थापित नहीं होता ।

उच्च न्यायालय का निर्णय

 न्यायमूर्ति अरुण ने पाया कि मुख्यमंत्री के दावे में स्थापित आधार है, विशेषकर क्षेत्राधिकार की समस्या और धारा 109 IPC का संभावित गलत उपयोग । इसीलिए, अदालत ने एक तीन महीने के लिए अंतरिम रोक लगाई और अगली सुनवाई 14 अक्टूबर 2025 के लिए निर्धारित की ।

मुख्यमंत्री विजयन को प्रतीत होता है कि यह मामला राजनीतिक उद्देश्यों के तहत बनाया गया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि मजिस्ट्रेट का आदेश क्षेत्रीय दायरे के बाहर हो सकता है और प्रवर्तन प्रक्रिया में दोष हो सकते हैं। इस अंतरिम रोक से न्यायपालिका को न्यायिक विवेक और प्रक्रिया की जाँच का समय मिला है।

 

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I