RTI कानून के कमजोर होने पर कांग्रेस ने उठाई आवाज, देश की जनता बोली-सूचना अधिकार नहीं, लोकतंत्र भी कमजोर!
कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में Modi सरकार पर RTI कानून को ‘व्यवस्थित ढंग से खत्म’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आयोगों में नियुक्तियों की देरी, कानूनी संशोधन और डिजिटल डेटा कानून ने सूचना के अधिकार को प्रभावहीन बना दिया है। देश के नागरिक, RTI एक्टिविस्ट और सामाजिक संगठन भी खुलकर सशक्त RTI कानून की मांग कर रहे हैं, ताकि सरकार जवाबदेह रहे और जनता को उनके अधिकार मिलें।

- कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjun Kharge ने कहा कि केंद्र ने RTI एक्ट की धार कमज़ोर की, आयोग को ‘दंतहीन’ बनाया और डिजिटल डेटा कानून के जरिये सूचना उपलब्ध कराने की बाध्यता कम की।
- जयराम रमेश ने प्रेस वार्ता में कहा: “For the BJP, RTI means Right to Intimidate।” यानी निरंकुशता और डर का वातावरण। उन्होंने CIC के प्रमुख समेत 8 पद 15 महीने से खाली रहने पर चिंता जताई, ये लोकतांत्रिक प्रक्रिया ध्वस्त करने का संकेत है।
- 2019 संशोधन, DPDP Act 2023 के तहत personal data की परिभाषा बढ़ा कर खुली पहुँच वाली जनता की जानकारियों को छुपाने का प्रबंध किया गया। इससे सरकार से मतदाता सूची, वित्तीय आंकड़े, सरकारी खर्च की जानकारी माँगना लगभग असंभव हो गया।
- कांग्रेस का दावा है कि Covid मौतों, PM CARES फंड, सब्सिडी, और बैंकों का कर्ज़ तक सब डेटा ‘No Data Available’ कहकर छुपाया गया; RTI कार्यकर्ता भयभीत हैं, करीब 100 से अधिक RTI एक्टिविस्ट की हत्या के मामले सामने आए हैं।
जनता और समाज की प्रतिक्रिया: आवाज़ और चिंता
- कई सामाजिक संगठन जैसे Internet Freedom Foundation, Satark Nagrik Sangathan, Common Cause India ने DPDP Act से RTI एक्ट के कमजोर पड़ने पर nation-wide मुहिम शुरू की है।
- RTI कार्यकर्ता Anjali Bhardwaj ने कहा: “अगर RTI से beneficiary (जैसे छात्रवृत्ति, राशन व पेंशन) की सूची न मिले, तो गरीबों-दलितों की हकदारी का सामाजिक ऑडिट ही बंद हो जाता है।” यह बदलाव जन आंकड़ों को छुपाने का माध्यम बन गया, सरकार को चुनौती देने की शक्ति घट गई।
- आम नागरिकों ने सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में लिखा: “RTI न हो तो PM का डिग्री, स्वास्थ्य बजट, NPA डिफॉल्टर, सरकारी योजनाओं की प्रगति सब सिर्फ सरकार की मर्जी पर रहेगा, सवाल पूछना लोकतंत्र में सबसे बड़ा अधिकार है, उस पर हमला देश के भविष्य पर हमला है”।
- Haryana, Telangana, Himachal, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों के कांग्रेस नेता व नागरिक समूहों ने कहा कि गरीब, किसानों और सामान्य जनता के सरकारी राहत में जवाबदेही कमजोर हुई; RTI के अभाव में भ्रष्टाचारियों को बल मिला।
विशेषज्ञ राय और लोकतंत्र का संकट
- विशेषज्ञों का मत है: RTI के कमजोर पड़ने से कंट्रोलर की बजाय सरकार खुद gatekeeper हो गई है, जिसके नतीजे में सरकार जवाबदेह कम और जनता डरती ज्यादा दिखाई देती है।
- कई प्रसिद्ध अधिवक्ता, शिक्षाविद् और पूर्व सूचना आयुक्तों ने कहा: “अगर RTI की मूल धाराएँ हटती हैं तो लोकतंत्र की आधारशिला कमजोर पड़ेगी, सूचना ही शक्ति है और इसकी रक्षा देश के भविष्य के लिए जरूरी है”।
आगे की राह
- कांग्रेस, सामाजिक संगठन और सैकड़ों RTI एक्टिविस्ट ने कानून की पुनर्स्थापना, आयोगों की तत्काल नियुक्ति, DPDP Act की समीक्षा और नागरिक सूचना अधिकार लौटाने के लिए जन आंदोलन की घोषणा की है।
इस विस्तार से रिपोर्टिंग और आम जनता की आवाज़ में सारा भय, चिंता और उम्मीद शामिल है, सूचना का अधिकार सिर्फ कानून नहीं, देश के संविधान और लोकतंत्र की गरिमा का प्रतीक है।
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