इलाहाबाद हाई कोर्ट : यूपी की सरकारी जमीनों से 90 दिन में कब्जे हटाने का कड़ा आदेश
उत्तर प्रदेश में सरकारी और ग्राम सभा जमीनों पर अवैध कब्जा हटाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 90 दिन की सख्त समयसीमा तय की है। आदेश की अनदेखी या टालमटोल करने पर प्रधान, लेखपाल से लेकर तहसीलदार तक पर विभागीय और आपराधिक कार्रवाई होगी। पढ़ें गहराई से मीडिया रिपोर्ट...।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी में ponds, चरागाह, और अन्य सार्वजनिक उपयोग वाली ग्राम सभा/सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हटाने के लिए DM, SDM, तहसीलदार समेत सभी राजस्व अधिकारियों और ग्राम प्रधानों को 90 दिन के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश न मानने या कार्रवाई में लापरवाही बरतने पर विभागीय और आपराधिक कार्यवाही तथा सेवा समाप्ति तक की चेतावनी दी है। साथ ही हर स्तर पर पारदर्शिता, वार्षिक रिपोर्टिंग और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
आदेश का मुख्य उद्देश्य और कानूनी प्रावधान
इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच (जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि) ने 24 पृष्ठी आदेश में स्पष्ट किया कि ponds, चरागाह, जातीय चौपाल और अन्य ग्राम सभा भूमि का अवैध कब्जा रोकना ग्राम प्रधान और लेखपालों की कानूनी-जिम्मेदारी है। UP Panchayat Raj Act 1947, UP Revenue Code 2006, तथा इससे जुड़े नियमों में ग्राम सभा की भूमि सार्वजनिक ट्रस्ट मानी गई है।
कार्रवाई की समयसीमा और चरण
- प्रधान/लेखपाल : 60 दिन से भीतर तहसीलदार को R।C। Form 19 के तहत कब्जे की सूचना देना जरूरी।
- तहसीलदार : सूचना मिलने के बाद 90 दिन में Section 67 (UP Revenue Code 2006) के अनुसार कार्रवाई पूरी करनी होगी, सिर्फ आदेश नहीं, बल्कि कब्जा हटाकर भूमि की वापसी सुनिश्चित करनी होगी।
- डिले की दशा में: वैध वजह दर्ज न होने पर विभागीय कार्रवाई, निलंबन और सेवा समाप्ति की चेतावनी।
अधिकारियों पर विभागीय एवं आपराधिक कार्यवाही
कोर्ट ने साफ बोला कि आदेश न मानने या लापरवाही करने पर—
- UP Government Servant (Discipline and Appeal) Rules 1999 में MISCONDUCT मानते हुए डिपार्टमेंटल एक्शन।
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 316 के तहत Criminal Breach of Trust, Conspiracy और Abetment के तहत मुकदमा।
- ग्राम प्रधान हटाने की कार्रवाई UP Panchayat Raj Act की धारा 95(1)(g)(iii) के तहत।[1]
अपील प्रक्रिया का प्रभाव
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि Section 67 के तहत कार्रवाई के खिलाफ अपील का लंबित रहना जमीन वापस न देने का बहाना नहीं बनेगा, जब तक कोई कोर्ट द्वारा विशेष stay order न हो।
पुलिस सहयोग व रिपोर्टिंग व्यवस्था
अधिकारी कार्रवाई के लिए पुलिस सहयोग ले सकते हैं, और शांतिपूर्ण तरीके से कार्रवाई कराने का निर्देश है। हर जिला अधिकारी व विभागाध्यक्ष को प्रदेश सरकार को वार्षिक रिपोर्ट देना होगा।
नागरिकों को सुनवाई का अधिकार और कंटेम्प्ट की चेतावनी
किसी भी व्यक्ति (informant) को कार्रवाई के हर चरण में सुनवाई का अधिकार मिलेगा। यदि अधिकारी आदेश न मानें या कब्जा न हटाएं, तो हाई कोर्ट में सिविल कंटेम्प्ट केस चलाया जा सकता है।
परिणाम और व्यापक सामाजिक प्रभाव
इस आदेश से सरकारी जमीनों की रक्षा, प्रशासन की जवाबदेही, ग्राम सभा की पारदर्शिता और भूमि विवादों का शीघ्र हल सुनिश्चित होगा। इसके साथ ही यूपी में भूमि संरक्षण एवं सार्वजनिक हित में एक नई मिसाल देखी जा रही है।
What's Your Reaction?






