RTI अधिनियम की अवमानना पर राज्य सूचना आयुक्त के खिलाफ शिकायत | सुशील पाण्डेय का राष्ट्रपति तक पत्र

अपीलार्थी ने उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त राकेश कुमार पर RTI आदेशों की अवहेलना, नागरिक उत्पीड़न और गलत प्रशिक्षण देने के आरोप लगाए। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत नौ उच्च पदों को शिकायत भेजी।

Oct 13, 2025 - 08:12
Oct 13, 2025 - 09:26
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RTI अधिनियम की अवमानना पर राज्य सूचना आयुक्त के खिलाफ शिकायत | सुशील पाण्डेय का राष्ट्रपति तक पत्र
राज्य सूचना आयुक्त राकेश कुमार के खिलाफ शिकायत

प्रयागराज/कोलकाता, 13 अक्तूबर 2025: उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग एक बार फिर विवादों में है। प्रयागराज के हंडिया तहसील निवासी सुशील कुमार पाण्डेय, जो कई मामलों में अपीलार्थी हैं (अपील संख्याएँ – एस-10/ए/0243/2025, एस-10/ए/0240/2025, एस-10/ए/0230/2025, एवं एस-10/ए/0239/2025), ने राज्य सूचना आयुक्त राकेश कुमार के विरुद्ध एक विस्तृत शिकायत-पत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, कानून मंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित नौ उच्च संवैधानिक पदों को भेजा है।

शिकायत में श्री पाण्डेय ने आरोप लगाया है कि मा० सूचना आयुक्त राकेश कुमार ने—

1. RTI अधिनियम की धारा 20 के तहत जारी आदेशों की अवहेलना की,

2. अपीलकर्ता की धमकी और मानसिक उत्पीड़न की शिकायत को मज़ाक में उड़ाया,

3. और जनसूचना अधिकारियों को सूचना रोकने का प्रशिक्षण देने जैसा कुकृत्य किया।

पत्र के अनुसार, आयोग ने पूर्व में सहायक पुलिस आयुक्त, हंडिया (जनसूचना अधिकारी) सुनील कुमार सिंह को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया था, किंतु उनके द्वारा कोई उत्तर न देने के बावजूद दंडात्मक कार्यवाही नहीं की गई। इसके स्थान पर आयुक्त ने स्वयं अपील को निस्तारित कर दिया।

शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि जब उन्होंने सुनवाई के दौरान बताया कि जनसूचना अधिकारी उन्हें धमका रहे हैं और ‘एनकाउंटर’ करने की धमकी दे रहे हैं, तो राकेश कुमार ने उस शिकायत पर हँसी-ठिठोली की, जिससे अपीलार्थी को गहरा मानसिक आघात पहुँचा।

इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि आयुक्त ने सुनवाई में उपनिरीक्षक योगेन्द्र कुमार सिंह को यह कहते हुए निर्देशित किया, उत्तर केवल एक पंक्ति में दें और उत्तर प्रदेश RTI नियमावली 2015 के नियम 4(2)(ग) का हवाला देकर सूचना देने से मना करें।”

श्री पाण्डेय ने इसे ‘लोकविरोधी प्रशिक्षण’ और लोकतांत्रिक पारदर्शिता पर आघात बताया है।

उन्होंने कहा कि RTI अधिनियम एक राष्ट्रीय कानून है, जिसे किसी राज्य नियमावली से कमजोर नहीं किया जा सकता। ‘500 शब्द की सीमा’ का हवाला देकर सूचना न देना अधिनियम की मूल भावना का उल्लंघन है।

अपीलार्थी ने अपनी शिकायत में पाँच बिंदुओं में कार्रवाई की माँग की है -

1. राकेश कुमार के विरुद्ध विभागीय जांच और अनुशासनिक कार्यवाही,

2. उनके कार्यकाल में दिए गए सभी RTI-विरोधी आदेशों की समीक्षा,

3. मानसिक उत्पीड़न के लिए मुआवज़ा,

4. आयोग में आंतरिक निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करने की अनुशंसा,

5. और जनसूचना अधिकारी एवं उपनिरीक्षक पर दंडात्मक कार्रवाई।

शिकायत के साथ श्री पाण्डेय ने आयोग के आदेशों की प्रतिलिपियाँ, ऑडियो साक्ष्य का उल्लेख, और सुनवाई के दौरान राकेश कुमार की प्रतिक्रिया से संबंधित चित्र भी संलग्न किए हैं।

मामले ने राज्य सूचना आयोग की निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर नए प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

अब यह देखना होगा कि इस शिकायत पर मुख्य सूचना आयुक्त और केंद्र सरकार क्या रुख अपनाते हैं।

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