माँ देवी नहीं, इंसान है | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय की कविता

सुशील कुमार पाण्डेय की यह कविता समाज की सोच को झकझोरती है, क्यों सिर्फ़ ‘मेरी माँ’? क्यों नहीं हर औरत? देवी बनाना आसान है, इंसान मानना मुश्किल। पढ़ें यह मार्मिक कविता जो स्त्री सम्मान और समानता की सच्ची पुकार है।

Oct 15, 2025 - 07:54
Oct 15, 2025 - 07:56
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माँ देवी नहीं, इंसान है | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय की कविता
माँ देवी नहीं, इंसान है | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय

माँ देवी नहीं, इंसान है

 

बच्चा देखता है...

माँ...

रसोई की आँच में जल रही है।

बाप की चीख़ों में पिस रही है।

दादी की डाँट में गल रही है।

चाचियों की हँसी में

हर रोज़ मर रही है।

 

और बच्चा सोचता है

मैं बड़ा होकर अपनी माँ के लिए कुछ करूँगा।

माँ के लिए मेरे दिल में है

बेपनाह करुणा...

बेपनाह मोहब्बत।

 

लेकिन...

जब वही बच्चा बड़ा होता है,

तो मर्द कहलाता है।

और उसका प्यार...

उसकी करुणा...

उसका सम्मान...

बदल जाता है एक नए हथियार में।

 

वो अपनी पत्नी से कहता है

“तुम मेरी माँ जैसी क्यों नहीं?”

“तुम्हारी दाल में वो स्वाद क्यों नहीं?”

“तुम घर वैसे क्यों नहीं संभाल सकतीं?”

 

माँ...

चाँद बन जाती है।

बीवी के आगे लटकाई गई चाँद।

और बीवी...

सारी उम्र दौड़ती है।

उस चाँद तक पहुँचने की कोशिश में।

जो कभी उसकी पहुँच में नहीं आता।

 

और समाज गाता है

“माँ के पैरों के नीचे जन्नत है!”

हाँ...

माँ की इज्ज़त

सिर्फ बातों में,

सिर्फ़ गीतों में,

सिर्फ़ आरतियों में।

 

पर सवाल ये है...

क्यों सिर्फ़ मेरी माँ?

क्यों नहीं हर माँ?

क्यों नहीं हर औरत?

क्यों जब तुम पैदा हुए...

अचानक स्त्री देवी हो गई?

 

देवी बनाना आसान है।

इंसान मानना मुश्किल।

देवी बनाकर पंडाल में बिठाना आसान है।

बराबरी के अधिकार देना मुश्किल।

 

सुन लो!

हर औरत इज्ज़त की हक़दार है।

हर माँ,

हर बहू,

हर बेटी।

माँ देवी नहीं है...

माँ इंसान है।

और इंसान होने के नाते...

उसका सम्मान कोई उपहार नहीं

उसका जन्मसिद्ध अधिकार है!

 

हाँ...

हर औरत की इज्ज़त होनी चाहिए।

सिर्फ़ ‘मेरी माँ’ की नहीं।

सुशील कुमार पाण्डेय

संपर्क: 25-26, रोज मेरी लेन, हावड़ा 711101, मो,: 88 20 40 60 80 / 9681 10 50 70 

ई-मेल : aapkasusheel@gmail.com

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पूजा अग्रहरि पूजा अग्रहरि ने 2020 में दैनिक विश्वमित्र से पत्रकारिता की शुरुआत की। युवा शक्ति और जागो देश यूट्यूब चैनलों से जुड़ने के बाद, वर्तमान में पिछले 1 वर्ष से ‘जागो टीवी’ वेब पोर्टल में कंटेंट राइटर हैं। ‘कोई और राकेश श्रीमाल’ पुस्तक की सह-संपादक रही हैं। आपने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, कोलकाता केंद्र से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है।