आदतें आराम देती हैं | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता’

जीवन की सचाई पर आधारित यह कविता बताती है कि आदतें हमें आराम देती हैं, पर वही आराम धीरे-धीरे जीवन की ताजगी को मार देता है। जानिए क्यों कवि कहता है, “जो आदतों से मुक्त है, वह कभी बूढ़ा नहीं होता।”

Oct 28, 2025 - 10:20
Oct 28, 2025 - 10:20
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आदतें आराम देती हैं | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता’
आदतें आराम देती हैं | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

आदतें आराम देती हैं

 

आदतें आराम देती हैं,

पर वह आराम मृत्यु है।

जीवन हमेशा असुविधाजनक है,

क्योंकि जीवन हर पल नया है।

कल जैसा आज नहीं,

आज जैसा कल नहीं।

जीवन तो प्रवाह है

पर आदतें चाहती हैं स्थिरता।

 

बच्चे को देखो,

उसकी आँखों में विस्मय है।

हर फूल पहली बार खिला है,

हर चिड़िया पहली बार गा रही है।

यही बचपन की ताजगी है,

क्योंकि आदतें अभी जड़ नहीं पकड़ पाईं।

 

धीरे-धीरे जब आदतें हावी हो जाती हैं,

तो विस्मय खो जाता है।

आकाश फीका हो जाता है,

फूल की खुशबू बासी हो जाती है।

याद रखो

बुढ़ापा उम्र से नहीं आता,

आदतों से आता है।

 

जो आदतों से मुक्त है,

वह कभी बूढ़ा नहीं होता।

उसकी आँखें जीवन भर

नवनीत सी ताज़ा रहती हैं।

 

सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

संपर्क: 25-26, रोज मेरी लेन, हावड़ा - 711101,

मो.: 88 20 40 60 80 / 9681 10 50 70

ई-मेल : aapkasusheel@gmail.com

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पूजा अग्रहरि पूजा अग्रहरि ने 2020 में दैनिक विश्वमित्र से पत्रकारिता की शुरुआत की। युवा शक्ति और जागो देश यूट्यूब चैनलों से जुड़ने के बाद, वर्तमान में पिछले 1 वर्ष से ‘जागो टीवी’ वेब पोर्टल में कंटेंट राइटर हैं। ‘कोई और राकेश श्रीमाल’ पुस्तक की सह-संपादक रही हैं। आपने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, कोलकाता केंद्र से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है।