थप्पड़ कांड के बाद चला बुलडोज़र । बुलडोज हुआ मेरठ का सेंट्रल मार्केट
35 साल पुराने अवैध कॉम्प्लेक्स को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त किया गया। थप्पड़ कांड से इसका क्या कनेक्शन है, जानिए पूरी रिपोर्ट।
35 साल पुराने सेंट्रल मार्केट पर चला बुलडोज़र: 12 साल पुराने थप्पड़ कांड से क्या है कनेक्शन?
मेरठ के सेंट्रल मार्केट में प्रशासन ने लगातार दूसरे दिन बुलडोज़र कार्रवाई करते हुए 35 साल पुराने अवैध कॉम्प्लेक्स को जमींदोज़ कर दिया। यह वही मार्केट है जो सालों से विवाद में था और जिसकी वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मामला लंबित था। 12 साल पुराने ‘थप्पड़ कांड’ और नगर निगम अधिकारियों पर हुए हमले की घटना ने इस कार्रवाई के रास्ते को और तेज कर दिया। व्यापारियों का कहना है कि उन्हें वैकल्पिक स्थान या पर्याप्त समय नहीं दिया गया, जबकि प्रशासन का दावा है कि कोर्ट के आदेश के तहत कार्रवाई की गई है।
पृष्ठभूमि: 35 साल पुराना विवाद
मेरठ कैंट क्षेत्र के पास स्थित सेंट्रल मार्केट को 1980 के दशक के अंत में नगर निगम की अनुमति के बिना बनाया गया था। समय के साथ यहाँ सैकड़ों दुकानें और छोटे कॉम्प्लेक्स खड़े हो गए। कई बार नगर निगम ने नोटिस जारी किए, लेकिन राजनीतिक और स्थानीय दबाव के चलते कार्रवाई टलती रही।
साल 2013 में मार्केट में हुए ‘थप्पड़ कांड’ ने पूरे विवाद को फिर से सुर्खियों में ला दिया। उस समय निगम के अधिकारी जब अवैध निर्माण तोड़ने पहुंचे, तो व्यापारियों ने विरोध करते हुए एक अधिकारी को थप्पड़ जड़ दिया था। इस घटना के बाद मुकदमा दर्ज हुआ और मामला अदालत में चला गया।
कानूनी पहलू: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
2023 में मेरठ विकास प्राधिकरण (MDA) और नगर निगम ने कोर्ट के निर्देशों के बाद अवैध निर्माण की सूची तैयार की। 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह कॉम्प्लेक्स “सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा” है।
अंततः सुप्रीम कोर्ट ने 2025 में आदेश दिया कि “यदि यह मार्केट नियमन के अनुरूप नहीं है, तो इसे गिराया जाए।” इसी आदेश के अनुपालन में 26–27 अक्तूबर 2025 को बुलडोज़र कार्रवाई की गई।
कार्रवाई: 24 घंटे में ढहा मार्केट
पहले दिन आंशिक हिस्से को तोड़ा गया, जबकि दूसरे दिन पूरी इमारत को ध्वस्त कर दिया गया। प्रशासन के अनुसार, कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहा ताकि किसी भी प्रकार का विरोध न हो सके।
अधिकारियों ने बताया कि 100 से अधिक दुकानें और 20 छोटे कॉम्प्लेक्स इस कार्रवाई की जद में आए।
व्यापारियों की प्रतिक्रिया
व्यापारी संगठनों ने इसे ‘अन्यायपूर्ण’ बताते हुए कहा कि उन्हें पुनर्वास या वैकल्पिक दुकानें नहीं दी गईं।
एक दुकानदार के शब्दों में, “हम 30 साल से यहीं हैं, टैक्स भरते हैं, फिर भी हमें अपराधी बना दिया गया।” वहीं प्रशासन का कहना है कि सभी को पहले ही नोटिस दिया गया था और 15 दिन का समय भी मिला था।
थप्पड़ कांड का वर्तमान कनेक्शन
2013 में जिस अधिकारी को थप्पड़ मारा गया था, वह अब वरिष्ठ प्रशासनिक पद पर हैं और उनके ही नेतृत्व में इस बार की ध्वस्तीकरण कार्रवाई संपन्न हुई। इसे लेकर सोशल मीडिया पर चर्चाएँ तेज हैं कि क्या यह “कानूनी कार्रवाई” मात्र थी या “पुराने हिसाब बराबर करने” का एक प्रतीकात्मक प्रसंग।
आर्थिक असर
सैकड़ों छोटे व्यापारियों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है। स्थानीय अनुमान के अनुसार, इस मार्केट में रोज़ाना करोड़ों का कारोबार होता था। अब पूरा इलाका मलबे में तब्दील है।
प्रशासन का पक्ष
मेरठ नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा, “यह कार्रवाई पूरी तरह कानूनी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अवैध निर्माण को हटाना हमारी जिम्मेदारी थी।”
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