CJI गवई पर टिप्पणी केस: अजीत भारती ने पंजाब पुलिस कार्रवाई से सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट का रुख किया
यूट्यूबर अजीत भारती ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर अपनी टिप्पणी को लेकर पंजाब पुलिस की संभावित कार्रवाई से सुरक्षा की माँग करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। न्यायालय इस मामले की सुनवाई 3 नवंबर को करेगा। भारती का कहना है कि उनकी टिप्पणी एक पत्रकारीय राय थी, न कि जातिवादी या आपराधिक प्रकृति की।
चंडीगढ़। यूट्यूबर और टिप्पणीकार अजीत भारती ने सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पंजाब पुलिस द्वारा संभावित दमनात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की माँग की है।
यह मामला हाल में मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर की गई कथित टिप्पणियों से जुड़ा है, जिन पर सोशल मीडिया में भारी विवाद हुआ। बताया गया है कि पंजाब पुलिस ने CJI गवई के खिलाफ ‘उकसाने वाले और जातिसूचक’ बयानों के आधार पर कई एफआईआर दर्ज की हैं।
मामले की संक्षिप्त सुनवाई न्यायमूर्ति सुभाष मेहला की अदालत में हुई। अदालत ने अब 3 नवंबर को अगली सुनवाई तय की है। अजीत भारती ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें मीडिया रिपोर्टों से यह जानकारी मिली है कि उन पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, परंतु उन्हें किसी विशेष एफआईआर की जानकारी नहीं है, इसलिए वे विधिक राहत लेने में असमर्थ हैं।
भारती ने अपनी टिप्पणी को ‘पत्रकारिक राय’ (journalistic opinion) बताते हुए कहा, "मैंने कोई ऐसा बयान नहीं दिया जिससे किसी समुदाय का अपमान या कानून का उल्लंघन हो। मेरे विचार सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर अभिव्यक्ति मात्र हैं और न्यायपालिका के प्रति मेरा उच्चतम सम्मान है।"
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणियाँ संविधान या न्यायपालिका की गरिमा घटाने के लिए नहीं, बल्कि प्रणाली की कार्यकुशलता सुधारने के उद्देश्य से थीं। भारती की ओर से अधिवक्ता अमित सिवाच ने पैरवी की।
उधर, आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि CJI गवई पर ऑनलाइन हमले ‘संविधान और दलित समुदाय’ पर हमला हैं।
भारती की याचिका में उद्धृत किया गया है कि “दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बयान दिया कि न्यायमूर्ति गवई दलित समुदाय से हैं और उन पर हमला दरअसल दलितों पर हमला है, इसलिए सख्त कार्रवाई की जाएगी।” बता दें कि इस प्रकरण में एक अधिवक्ता राकेश किशोर द्वारा अदालत में CJI गवई पर जूता फेंकने का प्रयास भी हुआ था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर माहौल और गर्म हो गया।
अब नज़रें 3 नवंबर की सुनवाई पर हैं, जब हाईकोर्ट यह तय करेगा कि अजीत भारती को राहत दी जाए या नहीं।
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