गाजीपुर में मनरेगा घोटाले पर ‘अंतिम चुनौती’: दिव्य प्रकाश राय ने DM और BDO को खुला पत्र भेज कहा, “हिम्मत है तो करो FIR!”

गाजीपुर के बलुआतप्पेशाहपुर मनरेगा घोटाले पर शिकायतकर्ता दिव्य प्रकाश राय ने जिलाधिकारी व BDO को खुली चुनौती दी, “हिम्मत है तो करो FIR।” उन्होंने जाँच रिपोर्ट को ‘महा-झूठ’ बताते हुए उच्च न्यायालय व सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने की माँग की है।

Nov 7, 2025 - 07:20
Nov 7, 2025 - 07:59
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गाजीपुर में मनरेगा घोटाले पर ‘अंतिम चुनौती’: दिव्य प्रकाश राय ने DM और BDO को खुला पत्र भेज कहा,  “हिम्मत है तो करो FIR!”
मनरेगा निधि में भ्रष्टाचार

गाजीपुर, 7 नवंबर 2025: मनरेगा योजना में कथित अनियमितताओं को लेकर गाजीपुर जिले का बलुआतप्पेशाहपुर गाँव एक बार फिर सुर्खियों में है। शिकायतकर्ता दिव्य प्रकाश राय ने एक तीखा ‘अंतिम सार्वजनिक चुनौती-पत्र’ (पत्रांक 250433/चक्रव्यूह-चुनौती) जारी करते हुए गाजीपुर प्रशासन और लखनऊ मुख्यालय तक बैठे अधिकारियों को खुली चुनौती दी है। उन्होंने पत्र में कहा,अगर तुम्हें लगता है कि BDO भॉवरकोल की जाँच रिपोर्ट सच्ची है, तो मेरे खिलाफ FIR दर्ज करो और मुझे गिरफ्तार करो। हिम्मत है तो करो FIR!”

आरोपों का सारांश

राय का दावा है कि ग्राम बलुआतप्पेशाहपुर में मनरेगा फंड के दुरुपयोग और फर्जी बिलिंग का संगठित घोटाला हुआ है, परंतु जाँच के नाम पर प्रशासन ‘सत्य को दफन’ करने में जुटा है। उन्होंने BDO भॉवरकोल की जाँच रिपोर्ट को ‘महा-झूठ आख्या’ बताते हुए उसमें छह प्रमुख विसंगतियाँ उजागर कीं

1. जाँच गलत स्थान पर: सबूत दफ्तर में थे, टीम खेतों में “चाय पार्टी” कर रही थी।

2. GPS फोटो में वर्षगणना का झूठ: 2020 के काम की तस्वीरें 2025 की निकलीं।

3. मजदूरों का कोई बयान नहीं: रिपोर्ट में एक भी कार्यरत मजदूर का बयान नहीं है।

4. पात्रता प्रमाण गायब: नामजद आरोपियों की पात्रता के कोई दस्तावेज नहीं।

5. RTI जानकारी पर झूठ: सूचना आयोग ने जुर्माना लगाया था, फिर भी रिपोर्ट में “सूचना दी जा चुकी” बताया गया।

6. शिकायतकर्ता की अनुपस्थिति का झूठ: राय ने कहा, “मैंने गैरकानूनी जाँच में शामिल होने से इनकार किया, अनुपस्थित नहीं रहा।”

प्रशासनिक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा

पत्र जिलाधिकारी (DM), मुख्य विकास अधिकारी (CDO), उपायुक्त मनरेगा (DC Manrega), पुलिस महानिदेशक (DGP) और अपर मुख्य सचिव गृह (ACS Home) को संबोधित है। अब तक प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सार्वजनिक नहीं की गई है। राय ने न्यायालयों से भी ‘स्वतः संज्ञान (Suo Motu Cognizance)’ लेने की अपील की है, ताकि इस मामले की निष्पक्ष और न्यायिक जाँच हो सके।

पत्र का लहजा: सशक्त नागरिक प्रतिरोध

पत्र का स्वर तीखा, चुनौतीपूर्ण और नागरिक प्रतिरोध के रूप में सामने आया है। इसमें प्रशासनिक जवाबदेही, पारदर्शिता और जाँच प्रक्रिया की वैधता पर गंभीर प्रश्न उठाए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ये आरोप सत्य पाए जाते हैं, तो यह ग्रामीण विकास तंत्र और मनरेगा योजना में व्याप्त संस्थागत भ्रष्टाचार का गंभीर उदाहरण होगा।

आगे की संभावित प्रक्रिया

 DM/BDO से आधिकारिक प्रतिक्रिया अपेक्षित।

 संभावित रूप से उच्च स्तरीय जाँच या न्यायिक हस्तक्षेप की संभावना।

 प्रशासनिक विभाग पर पारदर्शी कार्रवाई का दबाव।

मुख्य तथ्य:

                          

 

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