कौशाम्बी में पुलिस बर्बरता या विधिसम्मत कार्रवाई? निर्दोषों पर लाठीचार्ज और संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज!
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में एक निर्दोष ब्राह्मण परिवार के साथ पुलिस द्वारा की गई बर्बरता ने कानून व्यवस्था और मानवाधिकारों को लेकर गहरी चिंता पैदा की है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने प्रशासनिक अमानवीयता को उजागर कर दिया है। अब सवाल उठता है-क्या इस पर कोई कार्रवाई होगी?

कौशाम्बी: उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के सैनी थाना क्षेत्र में 5 जून 2025 को एक उग्र घटना के बाद पुलिस द्वारा 30 से अधिक लोगों पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। FIR संख्या 0208 में आईपीसी की धारा 121 (देश के विरुद्ध युद्ध), 132 (राजद्रोह की तैयारी), 189(2), 190, 191(2)(3), 221, 223, 285, 324(5), 351(3) जैसी गंभीर धाराओं का उल्लेख है।
पीड़ित पक्ष का आरोप : पीड़ित पक्ष का आरोप है कि यह हमला एक विशेष समुदाय 'ब्राह्मण' को टार्गेट कर किया गया और निहत्थे ग्रामीणों को दौड़ाकर पीटा गया। FIR में कथित रूप से घायल पुलिसकर्मी, पत्थरबाजी व यातायात बाधा के आरोपों का उल्लेख है, जबकि स्थानीय जनता इसे प्रशासन द्वारा 'राजनीतिक दबाव' में की गई कार्रवाई बता रही है।
इस घटना में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो व चश्मदीदों के अनुसार पुलिस की क्रूरता और भेदभावपूर्ण कार्रवाई पर कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं। पीड़ितों का आरोप है कि "संविधान अब पुलिस के बूटों के नीचे कुचला जा रहा है।"
रिपोर्टिंग की मुख्य बातें: FIR में 15+ धाराएं, जिनमें देशद्रोह, सरकारी संपत्ति को क्षति, पुलिस पर हमला, शांति भंग, आदि शामिल।
30 से अधिक नामजद आरोपी, अधिकांश एक ही जातीय समुदाय से स्थानीय लोगों ने इसे ब्राह्मणों के विरुद्ध लक्षित कार्रवाई बताया।
वायरल वीडियो में ग्रामीणों को दौड़ाकर पीटते पुलिसकर्मी देखे जा सकते हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व विपक्षी दलों ने जांच की माँग की।
प्रशासन का पक्ष: पुलिस पर हमला हुआ, यातायात बाधित हुआ, भीड़ उग्र थी।
जनता की माँग: पुलिस के कथनानुसार अब तक वायरल वीडियो में ऐसा कहीं कुछ नहीं दिखा है। पुलिस प्रशासन को अपने पक्ष को साबित करने वाले वीडियो को सार्वजनिक करना चाहिए।
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