बॉलीवुड का मुस्कराता चेहरा: जॉन चाचा डेविड अब्राहम की विरासत और व्यंग्य से सजी ज़िंदगी
बॉलीवुड के स्वर्ण युग के सर्वप्रिय चरित्र अभिनेता डेविड अब्राहम चेऊलकर, जिन्हें ‘जॉन चाचा’ के नाम से देशभर में पहचान मिली, ने 110 से अधिक फिल्मों में अपने सहज अभिनय और सरल व्यक्तित्व से दर्शकों का दिल जीता। 'बूट पॉलिश', 'चुपके चुपके', 'अभिमान' और 'खट्टा-मीठा' जैसी फिल्मों में उन्होंने ऐसा मानवीय स्पर्श जोड़ा कि वो सिर्फ एक अभिनेता नहीं, एक भावना बन गए।

बॉलीवुड के स्वर्ण युग के सर्वप्रिय चरित्र अभिनेता डेविड अब्राहम चेऊलकर, जिन्हें ‘जॉन चाचा’ के नाम से देशभर में पहचान मिली, ने 110 से अधिक फिल्मों में अपने सहज अभिनय और सरल व्यक्तित्व से दर्शकों का दिल जीता। 'बूट पॉलिश', 'चुपके चुपके', 'अभिमान' और 'खट्टा-मीठा' जैसी फिल्मों में उन्होंने ऐसा मानवीय स्पर्श जोड़ा कि वो सिर्फ एक अभिनेता नहीं, एक भावना बन गए। भारत सरकार ने 1969 में उन्हें पद्म श्री से नवाज़ा, और उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी मुस्कान, उनकी आवाज़ और उनका जिंदादिल अंदाज़ हिंदी सिनेमा के दिल में ज़िंदा है।
नाम: डेविड अब्राहम चेऊलकर
जन्म: 1908, थलस्सेरी, केरल (कुछ स्रोतों में मुम्बई भी मिलता है)
निधन: 1982
सम्मान: पद्म श्री (1969)
शिक्षा: लॉ ग्रेजुएट, लेकिन वकालत में रुचि नहीं जगी
प्रसिद्ध उपाधि: ‘जॉन चाचा’ यह नाम उन्हें फिल्म ‘बूट पॉलिश’ (1954) से मिला, जिसमें अनाथ बच्चों के लिए स्नेह और सहारे का प्रतीक बनकर उभरे।
इस फ़िल्म का गीत – “नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है” आज भी उनकी स्मृति को जीवित रखता है।
कैरियर की खास बातें:
करीब 6 साल तक नौकरी की तलाश, फिर फिल्मों में किस्मत आज़माई
110+ हिंदी फिल्मों में अभिनय, खासकर 1950 से 1975 के बीच
‘चुपके चुपके’, ‘अभिमान’, ‘गोलमाल’, ‘खट्टा मीठा’, ‘अनुपमा’, ‘गुड्डी’ जैसी क्लासिक फिल्मों में संवेदनशील, हास्यप्रिय व आत्मीय किरदार निभाए
अभिनय के साथ-साथ बेहतरीन एंकर भी थे। पंडित नेहरू तक उनकी एंकरिंग शैली के कायल थे
उन दिनों Filmfare और अन्य पुरस्कार समारोह डेविड की मेज़बानी के बिना अधूरे माने जाते थे
व्यक्तित्व:
सादा जीवन, उच्च विचार। फिल्मी दुनिया की चकाचौंध के बीच भी ज़मीन से जुड़े रहे।
कभी स्टारडम का दिखावा नहीं किया, न कभी विवादों में रहे
उनके मित्रों और सहकर्मियों ने हमेशा उन्हें 'सबसे सरल और सच्चा कलाकार' कहा
उनकी कब्र पर लिखा गया वाक्य:
“Here’s a man who smiled through his tears and laughed in the midst of a sigh.”
यह पंक्ति सिर्फ उनके जीवन का सार नहीं, बल्कि एक पूरे युग की पहचान है।
डेविड की विरासत:
आज जब बॉलीवुड में चरित्र कलाकारों को ‘स्पेस’ देने की बात होती है, तो डेविड का नाम एक आदर्श की तरह सामने आता है। उन्होंने दिखाया कि सहायक भूमिका भी आत्मा बन सकती है किसी कहानी की।
उनका जीवन, सादगी और ह्यूमनिज़्म का पाठ पढ़ाता है।
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