दारा सिंह: अखाड़े से परदे तक हनुमान बनकर अमर हो गया एक महायोद्धा
दारा सिंह सिर्फ एक अभिनेता या पहलवान नहीं, बल्कि भारतीय जनमानस की चेतना में बस जाने वाला एक आदर्श पुरुष थे। 1950 के दशक से लेकर रामायण के युगांतकारी धारावाहिक तक, उन्होंने न सिर्फ अपने बलिष्ठ शरीर से दर्शकों को चौंकाया, बल्कि अपने सौम्य अभिनय से भी दिल जीता।

दारा सिंह सिर्फ एक अभिनेता या पहलवान नहीं, बल्कि भारतीय जनमानस की चेतना में बस जाने वाला एक आदर्श पुरुष थे। 1950 के दशक से लेकर रामायण के युगांतकारी धारावाहिक तक, उन्होंने न सिर्फ अपने बलिष्ठ शरीर से दर्शकों को चौंकाया, बल्कि अपने सौम्य अभिनय से भी दिल जीता। 'किंग कोंग', 'फौलाद', 'सिकंदर-ए-आज़म' जैसी फिल्मों से लेकर रामायण में हनुमान के अमर किरदार तक, दारा सिंह का सफर भारतीय सिनेमा की ताक़त, श्रद्धा और संस्कृति का जीवित दस्तावेज़ है।
पूरा नाम: दीदार सिंह रंधावा
जन्म: 19 नवंबर 1928, धरमूचक, पंजाब
निधन: 12 जुलाई 2012, मुंबई
पहचान: विश्वविजेता पहलवान, अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, राज्यसभा सांसद
कुश्ती में योगदान:
दारा सिंह का नाम भारतीय कुश्ती के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।
उन्होंने 1968 में विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में जीत हासिल की और कई अंतरराष्ट्रीय मुकाबले लड़े।
500 से अधिक पेशेवर कुश्तियां लड़ीं और कभी पराजित नहीं हुए।
फिल्म और टीवी में योगदान:
1952 में फिल्म 'संगदिल' से अभिनय की शुरुआत
ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमा के दौर में कई प्रमुख एक्शन फिल्मों के स्टार रहे
अपनी बनाई फिल्मों में भी नायक, निर्माता और कभी-कभी निर्देशक के रूप में योगदान
कुछ प्रमुख फिल्में:
किंग कोंग (1962)
फौलाद (1963)
रुस्तम-ए-बगदाद
लुटेरा, शेर दिल, राका, सिकंदर-ए-आज़म
मेरा नाम जोकर (राज कपूर के साथ)
कभी धूप कभी छांव, तुलसी विवाह
1987 में रामानंद सागर की रामायण में हनुमान का कालजयी किरदार निभाया। यह किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि लोग उन्हें 'जीवित हनुमान' मानने लगे। आज भी हनुमान का सिनेमाई चेहरा दारा सिंह ही हैं।
अन्य योगदान:
2003 में राज्यसभा के सदस्य बनाए गए
सादगी, विनम्रता और संयम का जीवन जिया
अपने आखिरी दिनों तक सामाजिक और सांस्कृतिक मंचों पर सक्रिय रहे
विरासत:
दारा सिंह वह नाम है जो ताकत के साथ भक्ति, अभिनय के साथ विश्वास, और प्रसिद्धि के साथ विनम्रता को जोड़ता है। वे भारतीय पौराणिक और जननायक छवि के सबसे प्रामाणिक उदाहरण बन चुके हैं।
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