AI पुलिसिंग: भारत की सुरक्षा प्रणाली के लिए एक तकनीकी क्रांति की दहलीज़ पर

यह संपादकीय AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) आधारित पुलिसिंग के क्षेत्र में भारत और चीन की तुलना करता है। इसमें बताया गया है कि चीन ने ह्यूमनॉइड रोबोट्स, चेहरा पहचान तकनीक और निगरानी प्रणालियों के माध्यम से अपराध नियंत्रण और प्रशासनिक दक्षता में नई ऊँचाइयों को छुआ है, जबकि भारत अभी इस दिशा में प्रारंभिक, लेकिन उत्साहजनक कदम उठा रहा है। भारत में AI तकनीक का उपयोग अपराध विश्लेषण, ट्रैफिक प्रबंधन, साइबर अपराध नियंत्रण और फॉरेंसिक जाँच जैसे क्षेत्रों में हो रहा है।

Jul 13, 2025 - 11:42
Jul 10, 2025 - 14:27
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AI पुलिसिंग: भारत की सुरक्षा प्रणाली के लिए एक तकनीकी क्रांति की दहलीज़ पर
AI पुलिसिंग

21वीं सदी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सिर्फ औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने शासन, प्रशासन और कानून व्यवस्था जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। चीन इस बदलाव का अगुआ बना है, जहाँ ह्यूमनॉइड पुलिस रोबोट्स, चेहरा पहचानने की प्रणाली (Facial Recognition), और बिग डेटा आधारित निगरानी अपराध नियंत्रण और प्रशासनिक दक्षता के नए मानक गढ़ रहे हैं। भारत में भी AI आधारित पुलिसिंग की ओर कई राज्य धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहे हैं। यह संपादकीय भारत के सामाजिक, कानूनी और तकनीकी परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए AI पुलिसिंग की संभावनाओं, चुनौतियों और रणनीतियों का विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

चीन में AI पुलिसिंग: एक संक्षिप्त झलक

चीन ने AI का प्रयोग पुलिसिंग में अत्यंत आक्रामक एवं संगठित रूप से किया है। हाँगझोउ, बीजिंग और शेनझेन जैसे शहरों में ह्यूमनॉइड पुलिस रोबोट्स सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी, संदिग्ध गतिविधियों की पहचान, और पर्यटकों को सूचना देने जैसे कार्यों में लगे हैं। पूरे देश में बिग डेटा, फेस रिकग्निशन, रियल टाइम ट्रैकिंग, और पूर्वानुमान आधारित निगरानी प्रणाली अपराध रोकथाम के लिए सक्रिय है। ‘Skynet Project’ के अंतर्गत 20 करोड़ से अधिक CCTV कैमरे, AI के माध्यम से संदिग्धों पर नजर रखते हैं।

प्रभाव:

 अपराध दर में गिरावट,

 त्वरित अपराध निवारण,

 पुलिस संसाधनों का प्रभावी उपयोग,

 और नागरिकों में 'निगरानी की चेतना'

भारत में AI पुलिसिंग का वर्तमान स्वरूप

भारत अभी AI आधारित पुलिसिंग के प्रारंभिक, लेकिन उत्साहजनक चरण में है।

उदाहरण के साथ प्रमुख क्षेत्रों में AI का उपयोग:

चेहरा पहचान तकनीक (FRS):

 दिल्ली पुलिस ने 2018 से इसे अपनाया; हजारों गुमशुदा बच्चों की पहचान हुई।

 उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के रेलवे स्टेशनों पर भी फेस रिकग्निशन से अपराधी पकड़े गए।

अपराध विश्लेषण और केस प्रोफाइलिंग:

आगरा पुलिस ने 'Trinetra' नामक सिस्टम लागू किया, जिससे अपराधियों की डिजिटल प्रोफाइलिंग की   जाती है। तेलंगाना में पुलिस ने FIR और केस डेटा से 'Predictive Policing' की शुरुआत की।

साइबर अपराध नियंत्रण:

I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre) के माध्यम से साइबर शिकायतों का विश्लेषण, क्लस्टरिंग और लोकेशन ट्रेसिंग।

ट्रैफिक प्रबंधन:

हैदराबाद और दिल्ली में AI आधारित ट्रैफिक सिग्नल और चालान प्रणाली कार्यरत है।

फॉरेंसिक जाँच:

AI आधारित वॉइस और वीडियो एनालिसिस टूल्स का सीमित उपयोग NIA और CBI जैसी एजेंसियाँ कर रही हैं।

AI पुलिसिंग के संभावित लाभ भारत में

1. भ्रष्टाचार में कमी:

   जब निर्णय AI आधारित हो तो मानवीय पक्षपात की संभावना घटती है।

2. जाँच की गति और गुणवत्ता:

   AI द्वारा डाटा विश्लेषण और साक्ष्य मिलान तेज और सटीक होता है।

3. अपराधियों की पहचान और निगरानी:

   पूर्व अपराधी या संदिग्ध AI आधारित ट्रैकिंग सिस्टम से नज़र में रह सकते हैं।

4. साइबर अपराधों में सफलता:

   बड़ी मात्रा में डेटा को खंगालने और कनेक्शन ढूँढने में AI बेहद उपयोगी है।

5. भीड़ प्रबंधन और ट्रैफिक नियंत्रण:

   कैमरा आधारित सिस्टम ट्रैफिक नियम उल्लंघन पर स्वतः चालान और भीड़ नियंत्रण संभव बनाते हैं।

6. पुलिसिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही:

   निर्णयों की डिजिटल ट्रेसबिलिटी नागरिक विश्वास को बढ़ाती है।

 मुख्य चुनौतियाँ:

1. डेटा गोपनीयता और नागरिक स्वतंत्रता:

    facial recognition और surveillance में डेटा दुरुपयोग की आशंका।

    स्पष्ट डेटा संरक्षण कानून और नैतिक दिशा-निर्देश की अभी भी कमी है।

2. तकनीकी अवसंरचना की असमानता:

    ग्रामीण व छोटे शहरों में इंटरनेट, कैमरे, बिजली की कमी।

3. मानव संसाधन और प्रशिक्षण:

    अधिकांश पुलिसकर्मी AI और डिजिटल टूल्स के उपयोग में प्रशिक्षित नहीं हैं।

4. कानूनी अस्पष्टता:

भारतीय न्याय संहिता (BNS) या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में AI आधारित साक्ष्य या निर्णयों की वैधता पर स्पष्टता नहीं।

 नीति और भविष्य की दिशा

भारत को चाहिए कि वह AI पुलिसिंग को एक सुनियोजित और उत्तरदायी रणनीति के तहत अपनाए।

 नीतिगत कदम:

 भारतीय न्याय संहिता (BNS) में AI आधारित पुलिसिंग का स्पष्ट स्थान।

 डिजिटल फॉरेंसिक और AI साक्ष्य की न्यायिक मान्यता सुनिश्चित करना।

 AI-Police Interface Policy का निर्माण, जिससे यह तय हो कि किन कार्यों में AI निर्णायक भूमिका निभा सकता है और कहाँ नहीं।

 AI ethics framework – पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक अधिकारों की रक्षा।

 AI स्टार्टअप्स के साथ सहयोग: कई निजी कंपनियाँ पुलिसिंग में उपयोगी समाधान विकसित कर रही हैं, उन्हें PPP मॉडल से जोड़ा जाए।

भारत को कहाँ प्राथमिकता देनी चाहिए?

भारत के लिए AI पुलिसिंग कोई विलासिता नहीं, आवश्यकता है, लेकिन इसे संवेदनशीलता और रणनीतिक दृष्टिकोण से लागू करना होगा।

 प्राथमिकताएँ:

 AI प्रशिक्षण को पुलिस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में शामिल करना।

 सभी महानगरों और संवेदनशील जिलों में FRS और predictive policing की तैनाती।

 डेटा संरक्षण कानून को लागू करना और उसका अनुपालन सुनिश्चित करना।

 समाज के सभी वर्गों की भागीदारी और संवाद से पुलिसिंग में विश्वास बनाना।

 चीन से क्या सीख सकते हैं?

 तकनीकी एकीकरण की गति,

 राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी तंत्र की एकरूपता,

 डेटा उपयोग की रणनीतिक समझ,

 लेकिन भारत को यह सीखते समय अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों का संतुलन बनाए रखना होगा। यदि AI को सहायक, जवाबदेह, और नैतिक ढंग से एकीकृत किया जाए, तो वह भारतीय पुलिस प्रणाली को न केवल आधुनिक बना सकता है, बल्कि विश्वासपूर्ण, त्वरित और न्यायोचित पुलिसिंग का आधार भी बन सकता है।

निष्कर्षतः, भारत को चाहिए कि वह AI कोसुरक्षित, न्यायोचित और उत्तरदायी ढंग से अपनी पुलिस व्यवस्था में सम्मिलित करे, जिससे तकनीकी नवाचार और लोकतांत्रिक मूल्यों के बीच संतुलन बना रहे।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I