UP News | मेरठ में रिटायर्ड इंस्पेक्टर पर भ्रष्टाचार का मुकदमा
मेरठ में सतर्कता अधिष्ठान ने रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा के खिलाफ केस दर्ज किया। जांच में 2.92 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ। शासन को रिपोर्ट भेजी गई।

मेरठ में भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों ने बड़ा खुलासा करते हुए रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप दर्ज किए हैं। सतर्कता अधिष्ठान मेरठ सेक्टर की जाँच में सामने आया है कि उनकी सेवा अवधि के दौरान, विशेष रूप से शामली जिले के कैराना थाने में तैनाती के समय, उन्होंने अवैध रूप से करोड़ों की संपत्ति बनाई।
शिकायत और जाँच की शुरुआत
- वर्ष 2020 में शासन को शिकायत मिली कि प्रेमवीर सिंह ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है।
- शिकायत पर शासन ने मेरठ सेक्टर की सतर्कता अधिष्ठान टीम को जाँच सौंपी।
- जाँच अधिकारी इंस्पेक्टर कृष्णवीर सिंह ने विस्तृत पड़ताल कर वित्तीय लेनदेन और संपत्तियों का आकलन किया।
जाँच में क्या मिला?
- प्रेमवीर सिंह की घोषित कुल आय (सभी वैध स्रोत मिलाकर): 1.65 करोड़ रुपये।
- इसी अवधि में उनके खर्च और संपत्ति पर निवेश: 4.57 करोड़ रुपये।
- वास्तविक आय और संपत्ति के बीच का अंतर: 2.92 करोड़ रुपये (अवैध रूप से अर्जित)।
अधिकारियों का कहना है कि यह रकम सिर्फ वेतन या वैध स्रोतों से अर्जित नहीं हो सकती। माना जा रहा है कि इंस्पेक्टर ने अपने पद का दुरुपयोग करके यह संपत्ति कमाई।
कार्रवाई और अगला कदम
- जाँच रिपोर्ट को 21 फरवरी 2024 को शासन को भेजा गया था।
- शासन की संस्तुति पर सतर्कता अधिष्ठान, मेरठ सेक्टर थाने में केस दर्ज किया गया।
- केस भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत पंजीकृत हुआ।
- अब उनके संपत्तियों का मूल्यांकन और संभावित जब्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
आरोपी की पृष्ठभूमि
- प्रेमवीर सिंह राणा मूलरूप से बागपत जनपद के दोघट थानाक्षेत्र के निरपुड़ा गांव के रहने वाले हैं।
- वे यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर रह चुके हैं और पिछले वर्ष ही सेवानिवृत्त हुए।
- उनकी दो बार तैनाती शामली जिले के संवेदनशील कैराना थाने में हुई थी।
- स्थानीय सूत्रों का कहना है कि कैराना में उनकी तैनाती के दौरान उनकी जीवनशैली में अचानक भारी बदलाव देखने को मिला था।
स्थानीय और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएँ
स्थानीय स्तर पर इस कार्रवाई को लेकर लोगों में चर्चा है कि भ्रष्टाचार के मामलों पर शासन अब सख्ती दिखा रहा है। कई समाजसेवियों और स्थानीय राजनीतिज्ञों ने इस कदम का स्वागत किया है और मांग की है कि पुलिस विभाग में ऐसी और भी जांचें हों।
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। किसी भी अधिकारी की अवैध संपत्ति बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे वह सेवा में हो या रिटायर।”
कानूनी पहलू
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के तहत आय से अधिक संपत्ति का आरोप गंभीर अपराध है।
- दोष साबित होने पर आरोपी को 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
- अवैध अर्जित संपति जब्त तथा राज्य के पक्ष में नीलाम की जा सकती है।
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