सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: शर्मिष्ठा पानोली केस में वजाहत खान की बंगाल से बाहर गिरफ्तारी पर रोक

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पानोली के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले वजाहत खान पर भी हिंदू देवी-देवताओं को लेकर अपमानजनक और नफरत फैलाने वाली टिप्पणियों के आरोप में कई राज्यों में एफआईआर दर्ज हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के बाहर दर्ज एफआईआर में वजाहत खान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, और अब मामले की सुनवाई जारी है।

Jun 26, 2025 - 07:21
Jun 26, 2025 - 07:28
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: शर्मिष्ठा पानोली केस में वजाहत खान की बंगाल से बाहर गिरफ्तारी पर रोक
सर्वोच्च न्यायालय, फ्री स्पीच

सुप्रीम कोर्ट ने 23 जून 2025 को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पानोली के खिलाफ शिकायतकर्ता वजाहत खान की पश्चिम बंगाल के बाहर दर्ज एफआईआर में गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी है। वजाहत खान की शिकायत के बाद पानोली को पश्चिम बंगाल में दर्ज एफआईआर के तहत गिरफ्तार किया गया था।

इस मामले में वजाहत खान पर भी हिंदू धर्म और देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों और नफरत फैलाने वाले पोस्ट का आरोप लगा था। इन आरोपों पर असम, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में एफआईआर दर्ज की गई है। खान को पहले ही पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और वह कोलकाता की पुलिस हिरासत में है। एक अन्य एफआईआर में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि खान के खिलाफ अन्य राज्यों में दर्ज एफआईआर या भविष्य में इसी आरोप पर दर्ज होने वाली किसी भी एफआईआर में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने केंद्र और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है, जिसका जवाब 14 जुलाई को देना है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मौके पर यह भी कहा कि नफरत भरे भाषण समाज को कहीं नहीं ले जाते और इस तरह के बयान संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित नहीं हैं।

सार:

  • सुप्रीम कोर्ट ने वजाहत खान की पश्चिम बंगाल के बाहर दर्ज एफआईआर में गिरफ्तारी पर रोक लगाई।
  • खान की शिकायत के बाद शर्मिष्ठा पानोली को गिरफ्तार किया गया था, बाद में खान पर भी आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए एफआईआर दर्ज हुई।
  • कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया, जिसका जवाब 14 जुलाई को देना है।
  • अदालत ने नफरत फैलाने वाले भाषण की निंदा की और कहा कि ऐसे बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत संरक्षित नहीं हैं।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I