पीएम केंद्रीय विद्यालय क्र. 1, आईआईटी खड़गपुर में अग्निशमन मॉक ड्रिल आयोजित- विद्यार्थियों ने जाना 'PASS' तकनीक से आग से निपटने का तरीका
पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 1, आईआईटी खड़गपुर में आज अग्निशमन मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया जिसमें छात्रों को आपातकालीन स्थिति में अग्निशामक यंत्रों के उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया। फायरोटैक कंपनी के श्री सुदीप महंती ने अग्नि की विभिन्न श्रेणियों (A, B, C) के बारे में जानकारी देते हुए PASS तकनीक (Pull, Aim, Squeeze, Sweep) से यंत्र चलाने का तरीका बताया। विद्यार्थियों को कृत्रिम रूप से उत्पन्न आग बुझाने का प्रायोगिक अभ्यास भी करवाया गया। कक्षा 6 से 12 तक के मॉनिटरों व अन्य छात्रों ने भाग लिया।

खड़गपुर, पश्चिम बंगाल: आज पीएम केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 1, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर में छात्रों के लिए एक विशेष अग्निशमन मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को आपातकालीन स्थिति में सुरक्षित और प्रभावी ढंग से अग्निशमन यंत्रों के प्रयोग की जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान करना था। यह अभ्यास न केवल शैक्षणिक पाठ्यक्रम से जुड़ा था, बल्कि यह जीवन रक्षा कौशल (Life Saving Skill) के रूप में भी विद्यार्थियों को जागरूक और प्रशिक्षित करने की दिशा में एक अहम प्रयास रहा।
प्रशिक्षण की प्रस्तुति व संचालन:
इस मॉक ड्रिल का तकनीकी संचालन ‘फायरोटैक’ (Fireotac) कंपनी के अनुभवी कर्मचारी सुदीप महंती द्वारा किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों को अग्नि की श्रेणियाँ, अग्निशामक यंत्रों के प्रकार और उनके उपयोग के वैज्ञानिक तरीके के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
अग्नि की श्रेणियाँ (Fire Classes) और उनसे निपटने की विधियाँ:
1. ‘A’ श्रेणी की अग्नि:
यह आग सामान्य ठोस पदार्थों जैसे कपड़ा, कागज़, लकड़ी आदि में लगती है।
इसके लिए ड्राई केमिकल पाउडर या पानी आधारित अग्निशामक यंत्र का उपयोग होता है।
2. ‘B’ श्रेणी की अग्नि:
यह ज्वलनशील द्रवों जैसे पेट्रोल, डीजल, केरोसिन आदि में लगती है।
इसमें फोम अथवा कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) यंत्र उपयुक्त होता है।
3. ‘C’ श्रेणी की अग्नि:
यह गैस (LPG, CNG) से जुड़ी आग होती है।
इसके लिए विशेष रूप से CO₂ अथवा ड्राई केमिकल पाउडर आधारित यंत्रों का प्रयोग होता है।
‘PASS’ तकनीक की व्यावहारिक जानकारी:
श्री महंती ने विद्यार्थियों को अग्निशामक यंत्र के प्रयोग की ‘PASS’ विधि समझाई, जिसका विस्तृत अर्थ है:
P – Pull (पिन खींचो):
सबसे पहले यंत्र के सुरक्षा पिन को बाहर निकालें।
A – Aim (लक्ष्य निर्धारित करो):
यंत्र की नोज़ल को आग की जड़ की ओर लक्ष्य करें।
S – Squeeze (हैंडल दबाओ):
दोनों हाथों से यंत्र का हैंडल दबाकर केमिकल छोड़ें।
S – Sweep (बाएँ से दाएँ झाडू जैसा चलाएँ):
आग के आधार को लक्षित करते हुए बाएँ से दाएँ घुमाएँ।
इस व्याख्यान के बाद एक कृत्रिम आग सुलगाकर विद्यार्थियों के समक्ष यंत्र का प्रयोग कर प्रायोगिक प्रदर्शन (डेमो) किया गया। इसके उपरांत, स्वयं विद्यार्थियों ने भी एक-एक कर अग्निशामक यंत्र का प्रयोग कर व्यावहारिक अभ्यास किया।
विद्यार्थियों की सहभागिता और अनुभव:
कक्षा 6 से 12 तक की सभी कक्षाओं के क्लास मॉनिटर और स्वेच्छा से शामिल विद्यार्थियों ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया। विद्यार्थियों में इस तरह के सुरक्षा अभ्यास के प्रति उत्साह, जिज्ञासा और गंभीरता देखने को मिली।
कक्षा 10 की छात्रा अंजलि सरकार ने कहा, "पहली बार समझ आया कि यंत्र का उपयोग कैसे करना है। आपात स्थिति में अब घबराने के बजाय हम सोच-समझकर कदम उठा सकते हैं।"
आयोजन की निगरानी व समन्वय:
इस मॉक ड्रिल का संचालन विद्यालय की सेफ्टी एंड सिक्योरिटी कमेटी के नेतृत्व में किया गया।
प्राचार्य डॉ. रिकिशा भौमिक ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन रक्षा और व्यवहारिक शिक्षाओं के जरिए छात्रों को हर परिस्थिति के लिए तैयार करना है।”
देवेंद्र कुमार (सुरक्षा प्रभारी),
पी. के. दे (शारीरिक शिक्षक),
इन दोनों ने प्रशिक्षण को समन्वित रूप से संपन्न कराया।
महेन्द्र कुमार, जयवर्धन, गौतम कर्माकर तथा मती मनीषा शर्मा सहित अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएँ भी उपस्थित रहीं और उन्होंने छात्रों का उत्साहवर्धन किया।
यह मॉक ड्रिल न केवल विद्यालय की सुरक्षा व्यवस्था का प्रमाण है, बल्कि यह विद्यार्थियों को वास्तविक जीवन की चुनौतियों के लिए मानसिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से तैयार करने का प्रयास भी है। ऐसे अभ्यास, छात्र जीवन में सुरक्षा-संवेदनशीलता, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को सशक्त करते हैं।
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