कुत्ता काटे तो कितने घंटे में लगवाना चाहिए इंजेक्शन? नजरअंदाज करना पड़ सकता है जान पर भारी

भारत में रेबीज से हर साल हजारों लोगों की मौत होती है, मुख्यतः इसलिए, क्योंकि समय पर वैक्सीन नहीं लगवाई जाती। कुत्ते के काटने को हल्के में लेना घातक हो सकता है। यह लेख बताता है कि कुत्ता काटे तो सबसे पहले क्या करना चाहिए, कब तक इंजेक्शन लगवाना जरूरी होता है और शरीर पर क्या असर पड़ता है।

Jul 4, 2025 - 13:31
Jul 15, 2025 - 07:43
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कुत्ता काटे तो कितने घंटे में लगवाना चाहिए इंजेक्शन? नजरअंदाज करना पड़ सकता है जान पर भारी
कुत्ते ने काटा तो क्या करना चाहिए (फोटो : Freepik)

रेबीज: एक खामोश, लेकिन घातक खतरा

कुत्ते के काटने की घटनाएँ आम हैं, लेकिन इसे हल्के में लेना जानलेवा साबित हो सकता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की मृत्यु इसी लापरवाही का नतीजा थी। दो महीने पहले उन्हें एक पिल्ले ने मामूली रूप से काटा था, लेकिन उन्होंने एँ टी-रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई। कुछ सप्ताह बाद जब लक्षण दिखे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

रेबीज क्या है?

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, रेबीज एक वायरल संक्रमण है, जो संक्रमित जानवरों की लार से फैलता है। यह वायरस शरीर में घाव, खरोंच या म्यूकस मेम्ब्रेन (जैसे आंख, मुंह, खुले जख्म) के जरिए प्रवेश करता है। समय पर इलाज न होने पर यह वायरस नर्वस सिस्टम और मस्तिष्क तक पहुँचकर जानलेवा साबित होता है।

कब तक लगवाना चाहिए इंजेक्शन?

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो कुत्ते के काटने के 24 घंटे के भीतर पहला एँ टी-रेबीज वैक्सीन (ARV) लेना जरूरी होता है। जितनी जल्दी इंजेक्शन लिया जाए, उतना ही बेहतर है। देरी होने पर वायरस तेजी से फैलता है और लक्षण शुरू होने के बाद इसका कोई इलाज संभव नहीं होता।

 रेबीज शरीर पर कैसे असर करता है?

जब संक्रमित कुत्ता काटता है, तो उसकी लार में मौजूद वायरस घाव से मांसपेशियों और नसों तक पहुँचता है। धीरे-धीरे यह स्पाइनल कॉर्ड और दिमाग तक जाकर व्यक्ति में गंभीर लक्षण उत्पन्न करता है:

 भ्रम और बेचैनी

 पानी से डर लगना (हाइड्रोफोबिया)

 दौरे और मांसपेशियों में ऐंठन

 चिड़चिड़ापन या आक्रामकता

 तेज बुखार और सिरदर्द

रेबीज के लक्षण शुरू होने के बाद 10 से 15 दिनों के भीतर मृत्यु संभव है।

 कुत्ते के काटने पर क्या करें?

अगर किसी को कुत्ता काट ले तो निम्नलिखित कदम तुरंत उठाएँ :

1. घाव को धोएँ :

   बहते पानी और साबुन से घाव को कम से कम 10 मिनट तक धोएँ ।

2. एँ टीसेप्टिक लगाएँ :

   डेटॉल, पोटाश या कोई अन्य एँ टीसेप्टिक का प्रयोग करें।

3. मेडिकल सहायता लें:

   निकटतम सरकारी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाकर एँ टी-रेबीज वैक्सीन (ARV) लगवाएँ ।

4. गंभीर मामलों में:

अगर घाव गहरा है या चेहरा, गर्दन, हाथ जैसे संवेदनशील भाग पर है, तो इम्यूनोग्लोबुलिन इंजेक्शन भी आवश्यक हो सकता है।

कुत्ते के काटने को कभी भी हल्के में न लें। चाहे काटने की चोट मामूली ही क्यों न हो, समय पर उपचार और वैक्सीन ही रेबीज से बचाव का एकमात्र तरीका है। याद रखें, एक छोटी-सी लापरवाही जिंदगी पर भारी पड़ सकती है।

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