ढाका रहस्य: टेरेंस जैक्सन की मौत और मोदी पर हमले की अफ़वाह
क्या ढाका में अमेरिकी अधिकारी टेरेंस ऑरवेल जैक्सन की मौत मोदी पर हमले की साज़िश से जुड़ी थी? पढ़ें सच, अफ़वाह और जांच के बीच की पूरी पड़ताल।

31 अगस्त 2024 को ढाका के वेस्टिन होटल में अमेरिकी स्पेशल फोर्सेस के वरिष्ठ अधिकारी टेरेंस ऑरवेल जैक्सन की रहस्यमय मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए। बड़ी तेजी से सोशल मीडिया और कुछ वैकल्पिक पोर्टलों पर एक कंटेंट तेजी से प्रचारित/प्रसारित हो रहा है जो इस घटना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साज़िश या अमेरिकी गुप्त ऑपरेशन से जोड़कर प्रस्तुत कर रहा है।
फैक्ट-चेक से स्पष्ट होता है:
✅ सत्य: जैक्सन का शव होटल के कमरे से मिला, पोस्टमार्टम नहीं हुआ और शव अमेरिकी दूतावास को सौंपा गया।
✅ सत्य: दूतावास की मेडिकल टीम ने मृत्यु को ‘प्राकृतिक कारण’ घोषित किया और ढाका पुलिस ने इसे स्वीकार किया।
⚠ संदेहास्पद: पोस्टमार्टम न होना और सामान (नक्शे/इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस) का दूतावास द्वारा जब्त किया जाना।
❌ असत्य/अप्रमाणित: मोदी की हत्या की साज़िश या इस घटना को सीधे भारत के प्रधानमंत्री से जोड़ना। अभी तक कोई विश्वसनीय सबूत उपलब्ध नहीं।
निष्कर्ष: यह घटना असामान्य और प्रश्नचिह्नों से भरी जरूर है, लेकिन अब तक इसे ‘मोदी पर हमला’ या ‘वैश्विक षड्यंत्र’ कहना महज़ अटकल है।
परत-दर-परत विश्लेषण
परत 1: घटना का मूल तथ्य
31 अगस्त, 2024: टेरेंस ऑरवेल जैक्सन वेस्टिन होटल, ढाका में मृत पाए गए।
पुलिस और दूतावास की संयुक्त मौजूदगी में दरवाज़ा खोला गया।
अमेरिकी दूतावास ने शव और सामान कब्ज़े में लिया।
परत 2: आधिकारिक बयान
ढाका पुलिस: ‘प्राकृतिक कारण से मौत’ – बिना किसी आपराधिक सुराग के।
अमेरिकी दूतावास: आंतरिक मेडिकल जांच के आधार पर मृत्यु प्राकृतिक।
कोई स्थानीय पोस्टमार्टम नहीं हुआ।
परत 3: सोशल मीडिया दावे
दावे: ‘मोदी की हत्या की साज़िश’, ‘रूस ने जानकारी दी’, ‘जैक्सन गुप्त मिशन पर था’।
सत्यापन: इनमें से किसी का कोई सार्वजनिक दस्तावेज़/आधिकारिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं।
परत 4: भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि
उसी समय SCO समिट में मोदी–पुतिन की लंबी गुप्त बातचीत ने अटकलें बढ़ाईं।
पूर्व अमेरिकी राजदूत पीटर हास की बार-बार बांग्लादेश यात्राएँ भी संदेह पैदा करती हैं।
लेकिन इन घटनाओं और जैक्सन की मौत के बीच सीधा संबंध स्थापित नहीं हुआ है।
परत 5: निष्कर्ष
यह मौत रहस्यमय और कूटनीतिक गोपनीयता से घिरी हुई है।
परंतु ‘मोदी की हत्या की साज़िश’ या ‘अमेरिकी covert ऑपरेशन’ का दावा अभी अप्रमाणित और अटकल है।
पारदर्शिता की कमी (पोस्टमार्टम न होना, त्वरित शव-हस्तांतरण) ही सबसे बड़ा सवाल है।
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