मई में बारिश और ओलावृष्टि की संभावना: किसान निपटा लें ये ज़रूरी काम
मौसम की अनिश्चितता के बीच किसानों को सतर्क रहकर समय पर कार्रवाई करनी होगी। मौसम अपडेट्स का पालन, फसलों की सुरक्षित कटाई-भंडारण और वैज्ञानिक सलाह को अपनाकर किसान नुकसान को कम कर सकते हैं और उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।

मई माह में उत्तर भारत में मौसम के बदलते मिजाज के बीच किसानों को फसल और पशुधन प्रबंधन में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों के लिए व्यावहारिक और महत्वपूर्ण सलाह जारी की है।
मौसम का पूर्वानुमान
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 4 से 6 मई 2025 के बीच उत्तर प्रदेश के अधिकांश कृषि जलवायु क्षेत्रों में मेघगर्जन, वज्रपात, तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। 1 मई को उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है। इस दौरान अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने की उम्मीद है।
9 से 15 मई के बीच उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में छिटपुट हल्की बारिश हो सकती है, और तापमान सामान्य से नीचे रहेगा।
किसानों के लिए जरूरी सुझाव
- मौसम अलर्ट का पालन
- मौसम विभाग की दैनिक चेतावनियों पर नजर रखें। ‘सचेत’ ऐप के माध्यम से नवीनतम अपडेट प्राप्त करें।
- ओलावृष्टि और आंधी से बचाव के लिए खेत में काम शुरू करने से पहले मौसम की स्थिति जाँचें।
- फसल कटाई और भंडारण
- गेहूं और जायद फसलों की कटाई शीघ्र पूरी करें और फसलों को सुरक्षित भंडारण में रखें।
- फसल अवशेषों को जैविक फॉर्मुलेशन ‘हेलो-केयर’ (लखनऊ के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान से उपलब्ध) के साथ पुनर्चक्रण करें।
- खेत की तैयारी
- खाली खेतों में गहरी जुताई करें ताकि खरपतवार के बीज और कीट नष्ट हो सकें।
- मृदा जनित रोगों से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी 1% या ट्राइकोडर्मा हरजियेनम 2% (2.5 किग्रा) को 65-75 किग्रा सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर अंतिम जुताई से पहले खेत में डालें।
- गन्ने और धान की बुआई
- देर से बोये जाने वाले गन्ने की बुआई शीघ्र करें, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेमी रखें।
- धान की रोपाई के लिए हरी खाद हेतु सनई (80-90 किग्रा/हेक्टेयर) या ढैंचा (60 किग्रा/हेक्टेयर) की बुआई करें।
- धान के लिए शोधित बीज चुनें और मई में देर से पकने वाली प्रजातियों को प्राथमिकता दें।
- आम की फसलों की सुरक्षा
- भुनगा कीट से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 30.5% एस.सी. (3 मिली/10 लीटर) और प्रोफेनोफास 50% ई.सी. (1 मिली/लीटर) का छिड़काव करें।
- फल मक्खी और अन्य कीटों से बचाव के लिए फलों पर बैगिंग विधि अपनाएं।
- चारा फसलों का प्रबंधन
- ज्वार, बाजरा और चरी जैसी चारा फसलों की कटाई जड़ से 6 इंच ऊपर करें।
- केवल पर्याप्त नमी वाले खेतों में ही चारा फसलों की कटाई करें।
- पशुधन की देखभाल
- पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए मोबाइल वेटनरी यूनिट की सेवाओं के लिए टोल-फ्री नंबर 1962 पर संपर्क करें।
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