उड़ीसा हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: बुलडोजर कार्रवाई असंवैधानिक, ₹10 लाख मुआवजे का आदेश

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने बिना न्यायिक आदेश के की गई बुलडोजर कार्रवाई को संविधान विरोधी ठहराते हुए राज्य प्रशासन की तीखी आलोचना की है। अदालत ने पीड़ित को ₹10 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया और कहा कि कानून की अंतिम व्याख्या से पहले की गई इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र के मूल्यों को ठेस पहुँचाती है।

Jun 27, 2025 - 08:08
Jun 27, 2025 - 08:08
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उड़ीसा हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: बुलडोजर कार्रवाई असंवैधानिक, ₹10 लाख मुआवजे का आदेश
बुलडोजर कार्रवाई असंवैधानिक

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य प्रशासन द्वारा की गई बुलडोजर कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और इसे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ करार दिया है। अदालत ने इस कार्रवाई को "कानून की अंतिम व्याख्या से पहले ही बुलडोजर चलाने की जल्दबाज़ी" बताया और पीड़ित को ₹10 लाख का मुआवजा देने का निर्देश दिया।

अदालत के अनुसार, यह बुलडोजर नहीं, बल्कि उसकी बिना सोचे-समझे और न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी कर तैनाती, जो संवैधानिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाती है। पीठ ने प्रशासन के इस कदम को न केवल असंवेदनशील, बल्कि न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के विरुद्ध बताया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ:

न्यायालय ने कहा, "यह कोई मामूली प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। जब तक अदालत अंतिम निर्णय न दे, तब तक इस प्रकार की बलप्रयोग वाली कार्रवाई लोकतंत्र के लिए खतरा है।"

प्रमुख निर्देश:

पीड़ित को ₹10 लाख मुआवजा दिया जाए

राज्य सरकार पीड़ित के पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित करे

भविष्य में किसी भी कार्रवाई से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाए

यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब देश के कई हिस्सों में कथित अवैध निर्माण हटाने के नाम पर बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं।

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