इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार के बाद जौनपुर पुलिस कप्तान ने पूरा थाना किया निलंबित
जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर थाने के पुलिसकर्मियों पर जनहित याचिकाकर्ता को धमकाने और रिश्वत लेने के आरोप पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। कोर्ट की फटकार के बाद एसपी डॉ. कौस्तुभ कुमार ने एसएचओ समेत पूरे थाने (63–65 पुलिसकर्मी) को निलंबित कर दिया। यह अभूतपूर्व कार्रवाई पुलिस जवाबदेही की दिशा में अहम मानी जा रही है।

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में थाना मुंगराबादशाहपुर के पुलिस कर्मियों द्वारा एक जनहित याचिकाकर्ता को धमकाने, रिश्वत लेने और याचिका वापस लेने का दबाव डालने के गंभीर आरोप सामने आए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस की भूमिका पर कड़ी नाराजगी जताते हुए जौनपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) डॉ. कौस्तुभ कुमार को तलब किया और सख्त फटकार लगाई। कोर्ट की नाराजगी के बाद एसपी ने थाना मुंगराबादशाहपुर के एसएचओ समेत करीब 63 से 65 पुलिसकर्मियों को निलंबित करने का आदेश जारी किया। इस कार्रवाई से जिले के पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
घटना का विवरण
मामला: भूमि विवाद से जुड़ी एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। पुलिस पर आरोप था कि याचिकाकर्ता पर याचिका वापस लेने का दबाव बनाया गया, उसके पोते को हिरासत में लिया गया और 2000 रुपये रिश्वत लेकर छोड़ा गया।
कोर्ट की प्रतिक्रिया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सख्त नाराजगी जताई और एसपी को तलब कर फटकार लगाई।
प्रशासनिक कार्रवाई: एसपी डॉ. कौस्तुभ कुमार ने तुरंत थाना मुंगराबादशाहपुर के एसएचओ समेत पूरे थाने (करीब 63 से 65 पुलिसकर्मी) को निलंबित कर दिया।
प्रभाव: जिले में पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं और यह कार्रवाई पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई है।
प्रमुख बिंदु
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद प्रशासनिक स्तर पर त्वरित कार्रवाई।
पुलिसकर्मियों पर याचिकाकर्ता को धमकाने और रिश्वत लेने के आरोप।
पूरे थाने का निलंबन प्रदेश में अभूतपूर्व घटना के रूप में देखा जा रहा है।
यह कार्रवाई पुलिस प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। इस घटना के बाद जिले में पुलिस की छवि और कार्यशैली दोनों पर व्यापक चर्चा हो रही है।
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