प्राइवेट प्रैक्टिस के दोषी फिजीशियन पर कड़ी कार्रवाई, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का सख्त आदेश
भदोही के महाराजा चेत सिंह जिला चिकित्सालय में तैनात एक फिजीशियन पर प्राइवेट प्रैक्टिस का आरोप सिद्ध होने पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर कार्रवाई की गई। जाँच में दोषी पाए जाने पर फिजीशियन की दो वेतनवृद्धियाँ स्थायी रूप से रोकी गईं और परिनिन्दा का दंड दिया गया। यह कार्रवाई स्वास्थ्य सेवाओं में अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पाठक के अभियान का हिस्सा है, जिससे सरकारी अस्पतालों में जनता का भरोसा मजबूत हो।

भदोही : उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने भदोही के महाराजा चेत सिंह जिला चिकित्सालय, ज्ञानपुर में तैनात फिजीशियन डॉ. प्रदीप कुमार यादव द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस करने के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। जाँच में प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोपों की पुष्टि होने के बाद फिजीशियन की दो वेतनवृद्धियाँ स्थायी रूप से रोक दी गईं और उन्हें परिनिन्दा (Censure) का दंड दिया गया।
मामले का विवरण : महाराजा चेत सिंह जिला चिकित्सालय में कार्यरत फिजीशियन डॉ. प्रदीप कुमार यादव पर सरकारी सेवा के दौरान निजी प्रैक्टिस करने का आरोप लगा था। उत्तर प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों के लिए प्राइवेट प्रैक्टिस करना सख्त वर्जित है, क्योंकि उन्हें गैर-प्रैक्टिस भत्ता (Non-Practicing Allowance) दिया जाता है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विंध्याचल मंडल, मिर्जापुर के मंडलीय अपर निदेशक, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को जाँच का आदेश दिया।
जाँच में फिजीशियन द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस करने के आरोप सही पाए गए। जाँच रिपोर्ट के आधार पर फिजीशियन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई, जिसमें उनकी दो वेतनवृद्धियाँ स्थायी रूप से रोकने और सेवा रिकॉर्ड में परिनिन्दा दर्ज करने का निर्णय लिया गया।
उपमुख्यमंत्री का बयान : उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर इस कार्रवाई की जानकारी साझा करते हुए कहा, "भदोही के महाराजा चेत सिंह जिला चिकित्सालय में तैनात फिजीशियन के प्राइवेट प्रैक्टिस के मामले में जाँच के बाद दोष सिद्ध होने पर उनकी दो वेतनवृद्धियाँ स्थायी रूप से रोकी गईं और परिनिन्दा का दंड दिया गया।" उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य सेवाओं में अनुशासनहीनता और नियमों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शिकायतकर्ता ने क्या कहा : भ्रष्ट व्यवस्था के विरूद्ध लड़ाई के योद्धा जयचंद मौर्य कहते हैं कि "पिछले 2 वर्षों में मैंने इस लड़ाई में जो मानसिक, शारीरिक, आर्थिक प्रताड़ना झेला है, उसे शब्दों में बयान नहीं कर सकता। कार्रवाई होने से व्यवस्था में थोड़ी आश जगी है। "
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में कदम : यह कार्रवाई पाठक के उस अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत वे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय हैं। इससे पहले भी पाठक ने प्राइवेट प्रैक्टिस और अन्य अनियमितताओं के लिए कई चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की है। उदाहरण के लिए, मार्च 2023 में बाराबंकी और गौतम बुद्ध नगर के दो चिकित्सकों को प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए बर्खास्त किया गया था। हाल ही में मार्च 2025 में, 17 चिकित्सकों के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए कार्रवाई शुरू की गई थी, जिसमें बालरामपुर, हाथरस और कुशीनगर के चिकित्सक शामिल थे।
स्थानीय समुदाय में प्रभाव : महाराजा चेत सिंह जिला चिकित्सालय भदोही जिले का एक प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र है, जो राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम और न्यूट्रिशन रिहैबिलिटेशन सेंटर जैसी योजनाओं के तहत सेवाएं प्रदान करता है। इस अस्पताल में प्राइवेट प्रैक्टिस जैसी अनियमितता का सामने आना स्थानीय समुदाय के लिए चिंताजनक था, क्योंकि यह सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है। पाठक की त्वरित कार्रवाई से न केवल दोषी चिकित्सक को दंडित किया गया, बल्कि अन्य चिकित्सकों के लिए भी एक कड़ा संदेश दिया गया है।
जनता और प्रशासन की प्रतिक्रिया : स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है। भदोही के निवासी रामेश्वर प्रसाद ने कहा, "सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों का ध्यान मरीजों पर होना चाहिए, न कि निजी प्रैक्टिस पर। उपमुख्यमंत्री की यह कार्रवाई सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।" प्रशासनिक स्तर पर भी इस कार्रवाई को स्वास्थ्य विभाग में अनुशासन बहाल करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
आगे की दिशा : यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसके तहत सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को जन-केंद्रित और भ्रष्टाचार-मुक्त बनाया जाए। उपमुख्यमंत्री पाठक ने बार-बार जोर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही या अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भदोही के इस मामले ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि सरकार नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगी।
इस कार्रवाई के बाद उम्मीद की जा रही है कि भदोही और अन्य जिलों में सरकारी चिकित्सक अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक जिम्मेदार होंगे, जिससे जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।
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