उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ IAS अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, अमिताभ ठाकुर की शिकायत पर नियुक्ति अनुभाग ने माँगे साक्ष्य

उत्तर प्रदेश में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। आज़ाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर द्वारा की गई शिकायत के आधार पर नियुक्ति अनुभाग ने साक्ष्य मांगे हैं। मामला शासन के उच्चतम स्तरों तक पहुंच चुका है और इसकी निष्पक्ष जाँच की माँग ज़ोर पकड़ रही है।

May 29, 2025 - 21:29
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उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ IAS अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, अमिताभ ठाकुर की शिकायत पर नियुक्ति अनुभाग ने माँगे साक्ष्य
पूर्व आईपीएस व आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर

लखनऊ, 29 मई 2025 : उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में एक बार फिर उथल-पुथल देखने को मिल रही है। पूर्व आईपीएस अधिकारी और आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर द्वारा राज्य के एक वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी पर गंभीर भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए हैं। इस शिकायत को राज्य सरकार के नियुक्ति अनुभाग ने संज्ञान में लेते हुए प्रथम दृष्टया साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

क्या है पूरा मामला?

पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने अपनी शिकायत में कहा है कि संबंधित IAS अधिकारी ने अपने पद का प्रयोग निजी लाभ और प्रभावशाली व्यक्तियों को संरक्षण देने के लिए किया। आरोपों में यह भी कहा गया है कि अधिकारी ने नियुक्तियों, स्थानांतरणों और सरकारी कार्यों के निष्पादन में अनुचित हस्तक्षेप किया, जिससे राजकोष को नुकसान और लोक सेवा की निष्पक्षता प्रभावित हुई।

उन्होंने कहा कि वे इस पूरे मामले में पुख्ता दस्तावेज, संवाद, सिफारिश पत्र और वित्तीय रिकॉर्ड्स शासन को सौंपने के लिए तैयार हैं। उनका यह भी आरोप है कि सत्ताधारी दल से निकटता और राजनीतिक संरक्षण के चलते उक्त अधिकारी अब तक जाँच से बचते रहे हैं।

शासन की प्रतिक्रिया:

शिकायत पर उत्तर प्रदेश शासन के नियुक्ति अनुभाग-5 ने कार्रवाई करते हुए अमिताभ ठाकुर को पत्र जारी कर 'ठोस व प्रारंभिक साक्ष्य' प्रस्तुत करने को कहा है, जिससे आगे की प्रक्रिया तय की जा सके। यह पत्र शासन की ओर से एक प्रकार की औपचारिक स्वीकार्यता मानी जा रही है कि मामला सतही नहीं है।

सूत्रों के अनुसार, यदि प्रस्तुत साक्ष्य प्रथम दृष्टया गंभीर और प्रमाणिक पाए जाते हैं, तो सतर्कता अधिष्ठान या विशेष जाँच समिति (SIT) गठित की जा सकती है। साथ ही, आवश्यकता पड़ने पर प्रारंभिक जाँच के आधार पर उक्त अधिकारी को निलंबन या स्थानांतरण जैसी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।

शिकायतकर्ता अमिताभ ठाकुर का बयान:

"हम सिर्फ आरोप नहीं लगाते, तथ्यों के आधार पर बात करते हैं। राज्य की ब्यूरोक्रेसी में बैठे कुछ अफसर खुद को संविधान से ऊपर समझते हैं। अगर भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठाना गुनाह है, तो हम यह गुनाह बार-बार करेंगे। मैं साक्ष्य सार्वजनिक करूंगा और जनता को बताऊँगा कि भ्रष्टाचार कैसे फल-फूल रहा है।"

श्री ठाकुर ने यह भी कहा कि आज़ाद अधिकार सेना आने वाले दिनों में इस विषय पर जनजागरण अभियान और RTI माध्यमों से विस्तृत पड़ताल करेगी।

पृष्ठभूमि और संदर्भ:

अमिताभ ठाकुर एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं जिन्हें सेवा काल में ही कई बार शासन के साथ टकरावों का सामना करना पड़ा। पुलिस सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के बाद वे राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हुए, और आज़ाद अधिकार सेना की स्थापना की, जो जनहित, पारदर्शिता, न्यायिक जवाबदेही और प्रशासनिक शुचिता के मुद्दों पर लगातार आवाज़ उठाती रही है।

प्रभाव और संभावित परिणाम:

यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब राज्य सरकार 'भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस' नीति का दावा कर रही है। यदि आरोप सही सिद्ध होते हैं तो यह सरकार की नैतिक और प्रशासनिक जवाबदेही पर सीधा सवाल खड़ा करेगा। वहीं, यदि आरोप खारिज होते हैं तो विपक्ष और सिविल सोसाइटी पर सवाल उठेंगे।

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