विमल वर्मा को श्रद्धांजलि : साहित्य के सरोकारों से जुड़ी एक संवेदनशील स्मरण सभा

भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता में विमल वर्मा की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में साहित्यकारों और परिवारजनों ने उनके जीवन और लेखन को जन-सरोकारों से जुड़ा बताया।

Oct 4, 2025 - 22:58
Oct 4, 2025 - 23:43
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विमल वर्मा को श्रद्धांजलि : साहित्य के सरोकारों से जुड़ी एक संवेदनशील स्मरण सभा
श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित साहित्यकार

कोलकाता, 4 अक्तूबर 2025। भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता में आज एक गहन और भावपूर्ण वातावरण में स्वर्गीय विमल वर्मा की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर परिवारजनों, साहित्यकारों और सामाजिक-सांस्कृतिक जगत की अनेक प्रमुख हस्तियों ने उपस्थित होकर विमल वर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद किया।

सभा का आरंभ विमल वर्मा जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर एवं दो मिनट का मौन रखकर किया गया। उपस्थित जनों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और उनके योगदान को नम आँखों से स्मरण किया।

विख्यात आलोचक एवं विचारक डॉ. शंभुनाथ ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा,विमल जी कभी किसी से अलग नहीं हुए; वे जोड़ने वाले व्यक्ति थे। उनकी भाषा में पारदर्शिता थी - जैसे साफ पानी। उन्होंने अपने जीवन और लेखन दोनों में सादगी, सत्य और प्रतिबद्धता को सर्वोपरि रखा।” उन्होंने कहा कि विमल वर्मा की लेखनी में संघर्ष और संवेदना का अद्भुत संतुलन था, और वे उन दुर्लभ रचनाकारों में थे जिन्होंने साहित्य को समाज की चेतना से जोड़े रखा।

इस अवसर पर अरुण माहेश्वरी, पूर्व सांसद सरला माहेश्वरी, मृत्युंजय श्रीवास्तव, महेश जायसवाल, सेराज ख़ान बातिश, और डॉ. नरेन्द्र प्रताप सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए विमल वर्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

मुक्तांचल पत्रिका की संपादक डॉ. मीरा सिन्हा ने अपने संदेश में कहा -“विमल वर्मा जी का सहयोग और संवाद हमेशा प्रेरणा देता रहा। वे लेखन को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि समाज के संघर्षों और जनजीवन की व्यथा में देखते थे।” उन्होंने विमल जी के उस कथन को उद्धृत किया जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है,“अब तो अंतिम समय है, पर साहित्य को फिर से जनता के पास लौटना होगा।”

विमल वर्मा के परिवार से सुशील वर्मा, श्वेता वर्मा, निशा वर्मा, अनूप अस्थाना, इशिका वर्मा, और राहुल वर्मा सहित परिजन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय जायसवाल ने किया। सभा में सुरेश शॉ, सुशील पांडेय, प्रो. मंटू दास, असित पांडेय, पुरुषोत्तम तिवारी, कंचन भगत, कुसुम भगत, अनिल साह और अन्य कई साहित्यप्रेमी एवं मित्रगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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