शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी – अभिव्यक्ति की सीमा या सत्ता का संदेश?
कोलकाता पुलिस ने सोशल मीडिया पर विवादित वीडियो साझा करने के आरोप में शर्मिष्ठा पनोली को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। हालांकि, उन्होंने वीडियो हटाकर माफी भी मांगी थी, फिर भी उन्हें गिरफ्तार किया गया। दिल्ली के मजिस्ट्रेट ने रात में ट्रांजिट रिमांड को मंजूरी दी, जिसके बाद उन्हें कोलकाता ले जाया गया।

दिल्ली, 30 मई 2025 | सोशल मीडिया पर एक विवादित वीडियो के प्रसार के आरोप में कोलकाता पुलिस ने शर्मिष्ठा पनोली को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि यह पूरे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक संवेदनशीलता और कानून की कार्यवाही की परिभाषा पर व्यापक बहस को जन्म देती है।
क्या है मामला?
शर्मिष्ठा पनोली पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया (X/Twitter) पर एक ऐसा वीडियो साझा किया जो कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला था। यह वीडियो कुछ समय तक सार्वजनिक रहा, जिसके बाद उन्होंने स्वयं इसे हटा लिया और लिखित माफी भी जारी की।
बावजूद इसके, कोलकाता पुलिस ने उनके खिलाफ धार्मिक उन्माद फैलाने, आईटी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की और उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार कर कोलकाता ट्रांजिट रिमांड पर ले जाया गया।
कानूनी प्रश्न और चिंताएँ:
1. क्या माफी पर्याप्त नहीं थी?
कई कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आरोपी ने स्वेच्छा से आपत्तिजनक सामग्री हटा ली और माफी मांगी, तो गिरफ्तारी अत्यधिक कठोर कदम है।
2. ट्रांजिट रिमांड रात में क्यों?
यह भी एक चिंता का विषय है कि एक महिला को रात में ट्रांजिट रिमांड पर भेजना, सर्वोच्च न्यायालय की DK Basu बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1997) के निर्देशों के अनुरूप है या नहीं।
3. भाषण की स्वतंत्रता बनाम धार्मिक भावना:
यह मामला एक बार फिर इस बुनियादी सवाल को उठाता है -क्या कोई व्यक्ति सामाजिक-राजनीतिक विचार व्यक्त करते हुए आलोचना कर सकता है, यदि वह धार्मिक संदर्भ से जुड़ी हो?
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:
समर्थन:
भाजपा नेता टी. राजा सिंह, कई स्वतंत्र पत्रकार और सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं ने इस गिरफ्तारी को 'राजनीतिक प्रतिशोध' बताया और 'अभिव्यक्ति की आज़ादी पर आघात' करार दिया।
विरोध:
कुछ संगठनों ने शर्मिष्ठा द्वारा साझा किए गए वीडियो को 'जानबूझकर धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश' बताया और कड़ी कार्यवाही की मांग की।
पृष्ठभूमि:
शर्मिष्ठा पनोली सोशल मीडिया पर एक सक्रिय राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं।
वे पूर्व में कई विषयों पर खुले तौर पर सरकारों और राजनीतिक दलों की आलोचना करती रही हैं।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राजनीतिक और धार्मिक नियंत्रण
भारत में संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन वही अनुच्छेद 19(2) में 'reasonable restrictions' भी लगाता है -जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, और नैतिकता।
प्रश्न यह है कि:
जब कोई नागरिक माफी मांग लेता है और सामग्री हटा देता है, तो क्या गिरफ्तारी आवश्यक है या भयादोहन का साधन?
संभावित असर:
यह मामला भविष्य में सामाजिक मीडिया पर सेंसरशिप और सरकार की सहिष्णुता सीमा को परिभाषित करेगा।
कई लोग अब यह सोचने पर विवश होंगे कि वे क्या बोल सकते हैं और क्या नहीं – यह विचार, लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी केवल एक कानूनी कार्यवाही नहीं है, यह अभिव्यक्ति, असहमति, धार्मिक सहनशीलता और सत्ता की परिधियों की परीक्षा भी है। लोकतंत्र में 'कठोर कानून की जरूरत है, लेकिन विवेकपूर्ण उपयोग की और अधिक आवश्यकता।'
What's Your Reaction?






