मेरी यात्रा | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता’

सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता ‘मेरी यात्रा’ एक आत्मबोध और मौन की शक्ति पर केंद्रित रचना है। यह कविता बताती है कि सच्ची शांति शब्दों से नहीं, मौन से आती है।

Oct 24, 2025 - 08:26
Oct 24, 2025 - 14:28
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मेरी यात्रा | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता’
मेरी यात्रा | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

मेरी यात्रा

 घर था,

दीवारें थीं,

हँसी भी थी,

पर संवाद मर गया था।

चेहरों पर मुस्कानें थीं,

मगर चेहरों पर मुखौटा चढ़ा था।

 

शब्द कड़वे,

अर्थ विषैले,

स्नेह में स्वार्थ।

जहाँ अपनापन बोना था,

वहीं संदेह का जंगल उगाया गया।

 

गलती मेरी थी क्या, या

बस मुझे गलत ठहराया गया था?

मैं चुप रहा।

 

भीतर से आवाज आई,

जहाँ भावनाओं को ठेस पहुँचे,

वहाँ मन की दीवार का वितान बढ़ा लो।

 

मैंने देखा है,

शब्दों से नहीं,

सवालों से नहीं,

क्रियायों से

चोट पहुँचाई जाती है।

 

धीरे-धीरे समझा,

हर चेहरा सच्चा नहीं होता,

हर चुप्पी हार नहीं होती।

 

अब मैं खेल से बाहर हूँ,

ना तानों से दुखी,

ना तारीफ से मदहोश।

मैंने जाना है,

मौन ही मेरा हथियार है।

जो मुझे गिराने चले हैं,

वो खुद थककर ठहर जाएँगे।

 

और अगर कोई पूछे,

“क्यों नहीं बोलते तुम?”

तो बस इतना कह देता हूँ,

कि अब मैं मूढ़ नहीं।

 

सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

संपर्क: 25-26, रोज मेरी लेन, हावड़ा - 711101,

मो.: 88 20 40 60 80 / 9681 10 50 70

ई-मेल : aapkasusheel@gmail.com

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पूजा अग्रहरि पूजा अग्रहरि ने 2020 में दैनिक विश्वमित्र से पत्रकारिता की शुरुआत की। युवा शक्ति और जागो देश यूट्यूब चैनलों से जुड़ने के बाद, वर्तमान में पिछले 1 वर्ष से ‘जागो टीवी’ वेब पोर्टल में कंटेंट राइटर हैं। ‘कोई और राकेश श्रीमाल’ पुस्तक की सह-संपादक रही हैं। आपने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, कोलकाता केंद्र से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है।