छोड़ो, आदतों की यह कैद | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता’
यह कविता जीवन की जड़ आदतों से मुक्ति और सजगता की ओर जागरण का आह्वान करती है। हर श्वास को ध्यान, हर क्षण को प्रार्थना बनाकर मनुष्य अपने भीतर स्वतंत्रता का अनुभव कर सकता है।
छोड़ो, आदतों की यह कैद
छोड़ो, आदतों की यह कैद।
हर कदम सजग होकर रखो,
हर शब्द को परख कर कहो,
हर श्वास को ध्यान में भरो।
तब देखना
कैसे आदतें राख हो जाएँगी,
कैसा नया आकाश तुम्हारे भीतर खुलेगा,
कैसा नया संगीत तुम्हारे हृदय में बजेगा,
और कैसा नया जीवन
तुम्हारे चरणों में उतर आएगा।
स्वतंत्रता का अर्थ यही है
हर क्षण नया हो,
हर श्वास प्रार्थना हो,
और हर अनुभव
ईश्वर का आलिंगन।
सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’
संपर्क: 25-26, रोज मेरी लेन, हावड़ा - 711101,
मो.: 88 20 40 60 80 / 9681 10 50 70
ई-मेल : aapkasusheel@gmail.com
What's Your Reaction?
