फंडिंग का सवाल: जूनियर वकीलों के ₹5,000 वजीफे की मांग पर बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई

बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में माँग की गई है कि वार्षिक आय ₹1 लाख से कम वाले जूनियर वकीलों को उनके प्रैक्टिस के पहले तीन वर्षों के लिए ₹5,000 का मासिक वजीफा दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने इस पर सहानुभूति जताई लेकिन पूछा कि वजीफा देने की वैधानिक ज़िम्मेदारी किसकी है और इसकी फंडिंग कहाँ से आएगी? न्यायालय ने जनहित तत्व पर भी सवाल उठाते हुए बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा (BCMG) से फंडिंग संबंधी स्पष्टता माँगी है। याचिका में अन्य राज्यों की योजनाओं और BCI की सिफारिशों का हवाला भी दिया गया है। अदालत ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है।

Jun 25, 2025 - 19:29
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फंडिंग का सवाल: जूनियर वकीलों के ₹5,000 वजीफे की मांग पर बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई
बॉम्बे हाईकोर्ट, जूनियर वकील वजीफा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर चिंता जताई कि जूनियर वकीलों को ₹5,000 मासिक वजीफा देने की माँग को किस आधार पर वैधानिक समर्थन प्राप्त हो सकता है और इस योजना के लिए वित्तीय संसाधन कहां से जुटाए जाएंगे। याचिका में यह माँग की गई है कि जिन वकीलों की वार्षिक आय ₹1 लाख से कम है, उन्हें उनके करियर के पहले तीन वर्षों में आर्थिक सहायता दी जाए।

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने याचिका पर सहानुभूति जताई, लेकिन स्पष्ट किया कि बार काउंसिल के पास इस प्रकार की योजना के लिए पर्याप्त फंड नहीं हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि आम जन को इस योजना से क्या लाभ होगा, और क्या यह वास्तव में 'जनहित' से जुड़ा मामला है।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि COVID-19 और लॉकडाउन जैसी स्थितियों ने जूनियर वकीलों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। दिल्ली, तमिलनाडु, केरल, झारखंड और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पहले से ही ऐसी योजनाएं लागू हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी वजीफे की सिफारिश की है, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ₹15,000 और शहरी क्षेत्रों के लिए ₹20,000

हालांकि, महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल ने बताया कि इस योजना पर सालाना ₹155 करोड़ खर्च होंगे और राज्य सरकार ने अब तक ऐसी किसी योजना को समर्थन नहीं दिया है। अदालत ने सभी पक्षों से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या इस वजीफे की माँग किसी वैधानिक अधिकार पर आधारित है। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I