हावड़ा के मेहनती युवक अरिहंत तुलश्यान की चार्टर्ड अकाउंटेंसी में प्रेरक सफलता
हावड़ा के अरिहंत तुलश्यान ने अपनी मेहनत, अनुशासन और विनम्रता से चार्टर्ड अकाउंटेंसी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 47 हासिल की। जानिए कैसे एडमास स्कूल से शुरू हुई उनकी यात्रा सेंट जेवियर्स कॉलेज और फिर CA की ऊँचाइयों तक पहुँची। एक ऐसी प्रेरक कहानी जो बताती है, “सपने ऊँचे हों, पर कदम ज़मीन पर टिके रहें।”
संघर्ष, अनुशासन और विनम्रता से सफलता की ऊँचाई तक पहुँचे अरिहंत तुलश्यान, हावड़ा की गलियों से ‘ऑल इंडिया रैंक 47’ तक की कहानी
हावड़ा (पश्चिम बंगाल) की गलियों से निकला एक युवक अरिहंत तुलश्यान आज अपने संकल्प, परिश्रम और विनम्रता से नई पीढ़ी के लिए मिसाल बन गया है। नर्सरी से लेकर उच्चतर माध्यमिक तक उन्होंने एडमास इंटरनेशनल स्कूल में अध्ययन किया, और आगे सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। शांत, संयमी और कर्मठ स्वभाव के इस विद्यार्थी ने अपने जीवन में अनुशासन को इतना आत्मसात किया कि वह चार्टर्ड अकाउंटेंसी जैसी कठिन परीक्षा में ‘ऑल इंडिया रैंक 47’ लेकर सामने आए। उनके पिता विनय तुलश्यान, माता मीनू तुलश्यान ने मिलकर उनके सपनों को पंख दिए। परिवार का वात्सल्य और विश्वास ही अरिहंत की सफलता का आधार बना।
पृष्ठभूमि और शिक्षा की मिट्टी
अरिहंत की जड़ें हावड़ा की उस ज़मीन में हैं जहाँ मेहनत, संस्कार और सादगी का संगम होता है। एडमास स्कूल में उन्होंने केवल पढ़ाई नहीं की, बल्कि जीवन के मूल्य भी सीखे- समय का महत्व, सहपाठियों के साथ सहयोग, और गलतियों से सीखने का साहस। बचपन से ही वे आत्ममंथन और आत्मानुशासन के प्रतीक रहे। परिवार ने भले ही उन्हें सुविधाओं से नहीं, मगर संस्कारों से समृद्ध बनाया। दादी तारा तुलश्यान उनके लिए न सिर्फ स्नेह का स्रोत थीं, बल्कि धैर्य और विनम्रता की जीवित पाठशाला भी।
चार्टर्ड अकाउंटेंसी का सपना, जिम्मेदारी की राह
कॉलेज के वर्षों में जब अधिकांश छात्र करियर को लेकर असमंजस में रहते हैं, अरिहंत ने तय कर लिया था कि वे चार्टर्ड अकाउंटेंसी (CA) की कठिन किन्तु सम्मानजनक राह चुनेंगे। उनका उद्देश्य केवल व्यावसायिक सफलता नहीं, बल्कि ‘जिम्मेदारी से जुड़ी उत्कृष्टता’ था। आर्टिकलशिप के दौरान उन्होंने न केवल किताबों में ज्ञान पाया बल्कि दफ्तरों, बैलेंस शीटों और ऑडिट रिपोर्टों के बीच ‘वास्तविक जीवन की अर्थव्यवस्था’ को भी समझा। सहकर्मी बताते हैं कि अरिहंत ने कठिन अवधारणाओं को सहजता से आत्मसात किया, वे प्रश्न पूछने से कभी नहीं झिझके और सीखने से कभी थके नहीं।
ऑल इंडिया रैंक 47, एक उल्लेखनीय उपलब्धि
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, अरिहंत तुलश्यान ने चार्टर्ड अकाउंटेंसी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 47 प्राप्त की है, जो किसी भी विद्यार्थी के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण है। यद्यपि इस रैंक की आधिकारिक पुष्टि अब तक सार्वजनिक माध्यमों से नहीं हुई है, फिर भी यह निर्विवाद है कि अरिहंत ने अपने परिश्रम और अनुशासन से स्वयं को उस स्तर तक पहुँचाया, जहाँ 'रैंक' से अधिक 'योग्यता' बोलती है।
व्यक्तित्व की विशेषताएँ
अरिहंत की कहानी केवल एक परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि चरित्र और कर्म के संतुलन की दास्तान है।
सरल स्वभाव: वह मित्रों और सहकर्मियों के बीच सहज, विनम्र और सहायक व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। ‘सबका भला करना’ उनका सहज स्वभाव है, कोई आदर्श वाक्य नहीं।
मेहनत और निरंतरता: वे कहते हैं, “कठिनाई कोई बाधा नहीं, बल्कि क्षमता का दर्पण होती है।” उन्होंने समय-सारणी बनाकर, नियमित अभ्यास और आत्ममूल्यांकन से खुद को तैयार किया।
अनुभव की परिपक्वता: आर्टिकलशिप के दौरान वे जिस गहराई से वित्तीय प्रक्रियाओं को समझते गए, उसी अनुपात में उनका दृष्टिकोण परिपक्व होता गया।
सामाजिक चेतना: अरिहंत केवल अपनी सफलता के नहीं, अपने समुदाय के भी हिस्सेदार हैं। वे विद्यालय और कॉलेज के विद्यार्थियों को करियर-परामर्श देने, तथा दूसरों को प्रोत्साहित करने में सदैव तत्पर रहते हैं।
संघर्ष से सीख, आने वाले युवाओं के लिए संदेश
अरिहंत की यह यात्रा सिखाती है कि सफलता केवल रैंक या पद से नहीं, बल्कि चरित्र की गहराई और प्रयास की ईमानदारी से मापी जाती है। उन्होंने दिखाया कि सीमित संसाधनों में भी अनंत संभावनाएँ छिपी होती हैं, यदि मन में निष्ठा और आत्मविश्वास हो। हावड़ा के इस युवक की कहानी हमें याद दिलाती है कि विनम्रता और परिश्रम जब साथ चलते हैं, तो सफलता स्वयं मार्ग बना लेती है। अरिहंत तुलश्यान का जीवन यह संदेश देता है -“सपने ऊँचे हों, पर कदम ज़मीन पर टिके रहें।” उनकी यात्रा शिक्षा, अनुशासन और सद्भाव की मिसाल है और यह आने वाली पीढ़ियों को यह विश्वास दिलाती है कि ईमानदार प्रयास का कोई विकल्प नहीं होता।
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