यूपी पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का बड़ा खुलासा: मथुरा अदालत के आदेश से 15 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा

यूपी पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का झटका: मथुरा अदालत ने 15 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा का आदेश दिया। ग्राम प्रधान की टाँगों में गोली, CCTV से खुलासा। हाथरस फरह मामला, NHRC नजर। पढ़ें पूरा सच।

Dec 15, 2025 - 14:07
Dec 15, 2025 - 14:08
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यूपी पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का बड़ा खुलासा: मथुरा अदालत के आदेश से 15 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा
15 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा

यूपी पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का बड़ा खुलासा: मथुरा अदालत के आदेश से 15 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा, ग्राम प्रधान की टाँगों में गोली का सच CCTV में कैद

मथुरा/हाथरस, 15 दिसंबर 2025: उत्तर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था में एक बड़ा हड़कंप मच गया है। मथुरा की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) अदालत ने 27 नवंबर 2025 को ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए हाथरस के फरह थाना क्षेत्र के कोह गांव के ग्राम प्रधान हरेंद्र सिंह के कथित फर्जी एनकाउंटर मामले में 15 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर सनसनी फैला दी, बल्कि पूरे प्रदेश की एनकाउंटर नीति और पुलिस जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना का पूरा ब्यौरा: जबरन अपहरण से फर्जी एनकाउंटर तक

फरह थाना क्षेत्र के कोह गांव निवासी ग्राम प्रधान हरेंद्र सिंह के पिता गजेंद्र सिंह ने 25 फरवरी 2025 को सुबह करीब 4 बजे हुई घटना का खुलासा किया। उनके अनुसार, हाथरस SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) प्रभारी धीरज गौतम और कोतवाली प्रभारी सत्येंद्र सिंह राघव भारी पुलिस बल के साथ घर की दीवार फांदकर घुसे। उन्होंने हरेंद्र को लाठियों से पीटते हुए जबरन गाड़ी में बिठा लिया। इतना ही नहीं, हरेंद्र और उनकी पत्नी के मोबाइल फोन समेत घर से 50 हजार रुपये नकदी भी लूट ली गई।

आरोपी पुलिस टीम में SI सत्यवीर सिंह, रणजीत सिंह, राधा कृष्ण; मुख्य आरक्षी मनोज कुमार, राजेश कुमार; आरक्षी अरविंद कुमार, योगेश, नीलेश, धीरज; चालक विकास बाबू और 4-5 अज्ञात लोग शामिल थे। हरेंद्र को फरह से सादाबाद कोतवाली क्षेत्र ले जाया गया, जहां रात 10 बजे एक फर्जी एनकाउंटर का नाटक रचा गया। एनकाउंटर में उन्हें 'जान से मारने की नीयत' से टाँगों में गोली मार दी गई। साथ ही, दो अन्य फर्जी मुकदमों में फँसाकर जेल भेज दिया गया। हरेंद्र को कई महीने जेल में बिताने पड़े, और वर्तमान में वे जमानत पर बाहर हैं।

अदालत में पेश प्रभावी डिजिटल सबूत: फर्जीवाड़े का पर्दाफाश

गजेंद्र सिंह ने CrPC की धारा 175(4) के तहत मथुरा CJM उत्सव गौरव राज की अदालत में शिकायत दाखिल की। उन्होंने मजबूत डिजिटल प्रमाण पेश किए, जो फर्जी एनकाउंटर को पूरी तरह उजागर करते हैं:

  • CCTV फुटेज: घर में घुसपैठ और जबरन अपहरण का वीडियो प्रमाण।
  • टोल प्लाजा रिकॉर्ड: पुलिस गाड़ी का फरह से सादाबाद तक ट्रांजिट डेटा।
  • मोबाइल लोकेशन डेटा: आरोपी पुलिसकर्मियों के फोन की फरह गांव में उपस्थिति की पुष्टि।
  • अन्य सबूत: लूटी नकदी और फोन की वसूली न होने का रिकॉर्ड।

CJM ने इन प्रमाणों की जाँच के बाद 27 नवंबर को फरह थाना प्रभारी त्रिलोकी सिंह को निर्देश दिए कि IPC की धाराओं 364 (अपहरण), 365 (गिरफ्तारी का ढोंग), 307 (हत्या का प्रयास), 394 (डकैती), 447 (घर में घुसपैठ) और अन्य के तहत FIR दर्ज करें। थाना प्रभारी ने पुष्टि की कि 2 दिसंबर की रात आदेश प्राप्त होने पर FIR दर्ज कर विवेचना शुरू हो गई है।

पुलिस जवाबदेही पर सवाल: NHRC डेटा से उजागर सच्चाई

यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की 'जीरो टॉलरेंस' एनकाउंटर नीति पर करारा प्रहार है। NHRC (नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन) के 2024-25 आंकड़ों के अनुसार, यूपी में 150 से अधिक एनकाउंटर हुए, जिनमें 70% पर फर्जीवाड़े के आरोप लगे। NHRC ने कई मामलों में स्वत: संज्ञान लेते हुए मजिस्ट्रियल जाँच के आदेश दिए। इस घटना में भी NHRC की निगरानी संभव है, क्योंकि यह ग्राम प्रधान जैसे लोकतांत्रिक प्रतिनिधि पर हमला है। विशेषज्ञों का मानना है कि CCTV और डिजिटल ट्रैकिंग जैसे सबूत पुलिस को बचाव का मौका नहीं देंगे।

समान मामलों से तुलना: एक पैटर्न उभरता हुआ

यह पहला मामला नहीं है। हाल के वर्षों में यूपी में कई फर्जी एनकाउंटर उजागर हुए:

मामला

स्थान/तारीख

विवरण

परिणाम

बिजनौर कांस्टेबल एनकाउंटर      

बिजनौर, 2023

3 पुलिसकर्मी फर्जी एनकाउंटर में शामिल

NHRC जाँच, मुकदमा

प्रयागराज फर्जी मुठभेड़

प्रयागराज, 2024

युवक को टाँगों में गोली

अदालत ने FIR का आदेश

लखीमपुर खीरी मामला

लखीमपुर, 2022

ग्रामीणों पर हमला

हाईकोर्ट हस्तक्षेप

 

ये मामले दर्शाते हैं कि फर्जी एनकाउंटर का पैटर्न टाँगों में गोली मारना और फर्जी मुकदमे फँसाना है, जो 'पुलिस एनकाउंटर मैनुअल 2010' का उल्लंघन करता है। यह घटना RTI कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के लिए पुलिस पारदर्शिता पर बहस छेड़ सकती है। फरह थाने की विवेचना पर नजरें टिकी हैं।

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