अपनी रोशनी में जियो | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता

यह प्रेरणादायक हिंदी कविता जीवन को उजाले में जीने का संदेश देती है। इसमें बताया गया है कि समय, ध्यान और आत्मिक ऊर्जा को नकारात्मकता में नहीं, बल्कि अपने भीतर की रोशनी में लगाना ही सच्ची आज़ादी है।

Oct 21, 2025 - 11:09
Oct 21, 2025 - 12:18
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अपनी रोशनी में जियो | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता
अपनी रोशनी में जियो | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

अपनी रोशनी में जियो

 

यह दुनिया सदा अधूरी रहेगी,

कहीं फूल खिलेगा,

कहीं काँटा चुभेगा,

कहीं दोस्ती का हाथ मिलेगा,

तो कहीं धोखे का तीर चलेगा।

 

पर सवाल यह नहीं कि वे कैसे हैं,

सवाल यह है

तुम अपने भीतर किसे जगह देते हो?

अंधकार को या उजाले को?

 

कोई गाली फेंके तो हवा में छोड़ दो,

कोई कीचड़ उछाले तो स्नान कर आगे बढ़ जाओ।

याद रखो

जहर तभी असर करता है

जब तुम उसे पीते हो।

 

तुम्हारा ध्यान तुम्हारी सबसे कीमती पूँजी है,

हीरे से भी अनमोल,

अगर वह फूल पर ठहरेगा

तो तुम्हारे भीतर खुशबू बहेगी,

अगर वह काँटे पर ठहरेगा

तो चुभन तुम्हारी रगों में उतर जाएगी।

 

लोग बुरे होंगे,

झूठ बोलेंगे,

पर उनकी बुराई उनकी कहानी है।

तुम्हारी कहानी तब सुंदर होगी

जब तुम अपनी आत्मा को पत्थर की तरह अडिग रखोगे,

मासूमियत को बच्चे-सा बचाकर रखोगे।

 

समय सबसे बड़ा धन है

इसे गुस्से में मत गँवाओ,

नफरत की आग में मत जलाओ।

इसे अपने सपनों में लगाओ,

अपने भीतर के सूरज को जलाने में लगाओ।

 

जीवन छोटा है

तो क्यों न इसे हल्केपन में जिया जाए?

क्यों न बोझ छोड़कर

स्वतंत्रता के गीत गाए जाएँ?

 

याद रखो

दूसरों की गंदगी पर मत ठहरो,

अपनी रोशनी में जियो।

यही तुम्हारी जीत है,

यही तुम्हारी आज़ादी है।

सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

संपर्क: 25-26, रोज मेरी लेन, हावड़ा - 711101,

मो.: 88 20 40 60 80 / 9681 10 50 70

ई-मेल : aapkasusheel@gmail.com

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