मां-बेटी को उठवाने वाले इंस्पेक्टर की नौकरी खत्म | कानपुर सुसाइड केस में कार्रवाई
कानपुर में अवैध गिरफ्तारी और उत्पीड़न के आरोप में इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी बर्खास्त। पीड़िता महिला ने आत्महत्या की थी। जांच में राजनीतिक नजदीकियों और गंभीर कदाचार की पुष्टि। पूरी रिपोर्ट पढ़ें।
कानपुर में मां-बेटी को उठवाने और गैरकानूनी दबाव बनाने के आरोप में आरोपी इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी की पुलिस सेवा समाप्त कर दी गई है। मामला उस समय उजागर हुआ जब पीड़िता महिला ने लगातार उत्पीड़न और दुर्व्यवहार से तंग आकर आत्महत्या कर ली। जांच में खुलासा हुआ कि इंस्पेक्टर की स्थानीय स्तर पर राजनीतिक-प्रशासनिक पकड़ मजबूत थी और वह कानपुर के प्रभावशाली व्यक्ति अखिलेश दुबे का करीबी माना जाता था। घटना ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली, राजनीतिक संरक्षण और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
कानपुर में मां-बेटी को अवैध रूप से उठवाने और प्रताड़ित करने के आरोप में घिरे इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। विभागीय जांच पूरी होने के बाद पुलिस प्रशासन ने उनकी नौकरी समाप्त (Dismissal) कर दी है। यह कार्रवाई उस दर्दनाक घटना के बाद हुई, जिसमें पीड़ित महिला ने उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी।
घटना कैसे सामने आई?
घटना की शुरुआत तब हुई जब एक स्थानीय विवाद के दौरान इंस्पेक्टर पर आरोप लगा कि उन्होंने बिना किसी वैधानिक आधार और बिना महिला पुलिस की उपस्थिति के एक मां और उसकी नाबालिग बेटी को उठवाकर थाने ले जाकर दबाव बनाया। परिजनों का आरोप है कि इंस्पेक्टर लगातार महिलाओं को धमकाते रहे और समझौते के नाम पर मानसिक उत्पीड़न करते रहे। कुछ दिनों बाद पीड़िता महिला ने सुसाइड कर लिया, जिसमें उसने पुलिस कार्रवाई को अपनी मौत का कारण बताया।
सुसाइड के बाद बढ़ा दबाव, शुरू हुई जांच
मामला सोशल मीडिया और स्थानीय नागरिक संगठनों द्वारा उठाए जाने के बाद प्रशासन ने जांच बैठाई।
जांच में पाया गया कि—
इंस्पेक्टर ने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
महिलाओं को थाने लाने का कोई विधिक आधार नहीं था।
नाबालिग बच्ची के साथ पुलिस की कार्रवाई जेजे एक्ट (JJ Act) के प्रावधानों के खिलाफ थी।
पीड़िता पर अनाधिकृत दबाव बनाया गया।
मामले में न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश हुई।
राजनीतिक नजदीकियों की भी जांच में चर्चा
जांच रिपोर्ट में यह भी दर्ज हुआ कि आशीष द्विवेदी की स्थानीय स्तर पर पकड़ मजबूत थी और वह कानपुर के प्रभावशाली व्यक्ति अखिलेश दुबे का करीबी माना जाता था। यही वजह थी कि पूर्व शिकायतों पर भी गंभीर कार्रवाई नहीं की गई।
हालांकि पुलिस विभाग ने राजनीतिक प्रभाव से इंकार किया है, लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में इस संबंध की चर्चा पहले से रही है।
बर्खास्तगी क्यों हुई?
पुलिस विभाग ने जिन आधारों पर इंस्पेक्टर को नौकरी से हटाया, उनमें शामिल हैं—
गंभीर कदाचार
कानून का उल्लंघन
महिला सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन
पुलिस की वर्दी का दुरुपयोग
जन आक्रोश और संस्थागत बदनामी
परिवार का आरोप और मांग
पीड़िता के परिवार का कहना है कि
महिला की आत्महत्या के लिए इंस्पेक्टर जिम्मेदार हैं।
इंस्पेक्टर पर केवल बर्खास्तगी नहीं, बल्कि अब आईपीसी की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
नाबालिग बच्ची ने भी उत्पीड़न की पुष्टि की है, इसलिए पॉक्सो संबंधी कार्यवाही की मांग की गई है।
प्रशासन का बयान
पुलिस अधिकारियों ने कहा: “जांच में जो तथ्य सामने आए, उसके बाद सेवा में बने रहना उचित नहीं था। विभागीय कार्रवाई नियमों के तहत की गई है।”
घटना ने उठाए गंभीर सवाल
यह घटना यूपी पुलिस की संवेदनशीलता, राजनीतिक हस्तक्षेप, और महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण पर सवाल खड़े करती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि—
महिलाओं की गिरफ्तारी/दस्तावेजी कार्रवाई में कठोर प्रोटोकॉल है
लेकिन अनुपालन न होने पर अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं
विभागीय जवाबदेही मजबूत किए बिना ऐसे अपराध रुकना कठिन है
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