घाटाल में कैंसर रोगियों के लिए केशदान शिविर, चार महिलाओं ने बढ़ाया मानवता का मान

पश्चिम मेदिनीपुर जिले के घाटाल में भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की पहल पर कैंसर रोगियों के लिए एक विशेष केशदान शिविर आयोजित किया गया। इस मानवीय पहल में चार महिलाओं नबनीता घाना, श्रावणी भट्टाचार्य राय, रुपा चक्रवर्ती और स्नेहा दास ने अपने बाल दान किए। कैंसर मरीजों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह शिविर आत्मविश्वास और सम्मान बढ़ाने की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम है।

Jul 30, 2025 - 12:17
Jul 30, 2025 - 12:17
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घाटाल में कैंसर रोगियों के लिए केशदान शिविर, चार महिलाओं ने बढ़ाया मानवता का मान
कैंसर रोगियों के लिए केशदान कर चार महिलाओं ने बढ़ाया मानवता का मान

खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर (घाटाल): कैंसर सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक और भावनात्मक संघर्ष भी है। खासतौर पर कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के चलते जब मरीजों के बाल झड़ जाते हैं, तो यह उनके आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को गहरा आघात पहुंचाता है। इस संवेदनशीलता को समझते हुए भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी घाटाल शाखा ने एक विशेष केशदान शिविर का आयोजन किया।

इस शिविर में चार साहसी और संवेदनशील महिलाओं नबनीता घाना, श्रावणी भट्टाचार्य राय, रुपा चक्रवर्ती और स्नेहा दास ने भाग लिया और अपने बाल दान किए। इन महिलाओं में कोई घरेलू महिला है, कोई अधिवक्ता तो कोई छात्रा, लेकिन सबका उद्देश्य एक ही था: कैंसर रोगियों की मुस्कान लौटाना।

घाटाल के एसडीओ सुमन बिस्वास ने इस अवसर पर समाज से आग्रह किया कि अधिक से अधिक लोग आगे आएं और कैंसर रोगियों के लिए बाल दान करें। उन्होंने कहा, “एक छोटा सा दान, किसी की पूरी ज़िंदगी बदल सकता है।”

भारत में कई संगठन हैं जो ऐसे केशदान स्वीकार करते हैं और उन बालों से नि:शुल्क विग तैयार करके कैंसर मरीजों को प्रदान करते हैं। यह न केवल उनकी आत्म-छवि को संबल देता है, बल्कि उन्हें समाज के साथ सामान्य जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है।

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तारकेश कुमार ओझा तारकेश कुमार ओझा पिछले तीन दशकों से पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में सक्रिय पत्रकार हैं। कोलकाता से प्रकाशित दैनिक विश्वमित्र से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले ओझा पऱख, महानगर, चमकता आईना, प्रभात खबर और वर्तमान में दैनिक जागरण में वरिष्ठ उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं। आप समसामयिक विषयों, व्यंग्य, कविता और कहानियों के साथ-साथ ब्लॉग लेखन में भी सक्रिय हैं। माओवादी आंदोलन से लेकर महेंद्र सिंह धोनी के संघर्षपूर्ण दिनों तक, आपकी कई रिपोर्टें चर्चा में रही हैं। आपको मटुकधारी सिंह हिंदी पत्रकारिता पुरस्कार, लीलावती स्मृति सम्मान सहित कई बेस्ट ब्लॉगर अवार्ड प्राप्त हो चुके हैं।