अकाल और उसके बाद | बाबा नागार्जुन

स्वराज पाण्डेय

Feb 26, 2025 - 16:45
Mar 27, 2025 - 21:01
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कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास

कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद

चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद

RECITATIONS
नागार्जुन

स्रोत : पुस्तक : नागार्जुन रचना संचयन (पृष्ठ 100) संपादक : राजेश जोशी रचनाकार : नागार्जुन प्रकाशन : साहित्य अकादेमी संस्करण : 2017

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I