सिस्टम की लापरवाही ने छीन ली गोद की मुस्कान

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में चिकित्सा व्यवस्था की लापरवाही का दर्दनाक मामला सामने आया है। शाहरुख नामक युवक अपने नवजात बेटे आर्यन को जिला अस्पताल लेकर पहुँचा था, लेकिन डॉक्टरों की बेरुखी और इलाज में देरी के कारण बच्चे ने महज 10 मिनट में दम तोड़ दिया। गमगीन पिता का आरोप है कि डॉक्टरों ने बच्चे को छुआ तक नहीं। इस घटना ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है।

Jun 21, 2025 - 16:57
Jun 21, 2025 - 16:58
 0
सिस्टम की लापरवाही ने छीन ली गोद की मुस्कान
नवजात की मौत पर बिलखता पिता शाहरुख

फतेहपुर के जिला अस्पताल में नवजात की मौत, स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर खड़े हुए गंभीर सवाल

उत्तर प्रदेश | जून 2025 | उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति ने एक मासूम की जान ले ली। शाहरुख नामक युवक अपने नवजात बेटे ‘आर्यन’ को लेकर जिला अस्पताल पहुँचा था, जहां डॉक्टरों की बेरुखी और लापरवाही के कारण 10 मिनट के भीतर उसकी गोद सूनी हो गई। गम में डूबे शाहरुख ने बिलखते हुए कहा— "मेरे बच्चे को हाथ भी नहीं लगाया सर।"

क्या है मामला?

घटना 20 जून 2025 की बताई जा रही है, जब फतेहपुर के एक गांव से शाहरुख अपनी पत्नी और नवजात बेटे को लेकर जिला अस्पताल पहुँचा। बच्चे की हालत गंभीर थी, उसे तुरंत चिकित्सकीय देखभाल की आवश्यकता थी, लेकिन मौके पर डॉक्टरों की टीम नदारद थी। मौजूद कर्मचारियों ने डॉक्टर को फोन पर बुलाने का बहाना बनाया, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मासूम ने पिता की गोद में दम तोड़ दिया।

यह कोई पहली घटना नहीं…

उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पतालों की लापरवाही की यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ महीनों में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से इसी तरह की कई घटनाएँ  सामने आ चुकी हैं, जिनमें समय पर इलाज नहीं मिलने से मासूमों की जान गई।

➡️ मेरठ (मार्च 2025): जिला महिला अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट न मिलने पर एक प्रसूता ने बच्चे समेत दम तोड़ दिया। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया था।

➡️ प्रयागराज (अप्रैल 2025): स्वरूप रानी अस्पताल में भर्ती एक नवजात बच्ची को वार्मर पर जगह न मिलने के कारण फर्श पर रखा गया। कुछ ही घंटों में उसकी भी मौत हो गई। मामला सामने आने पर प्रशासन ने दो कर्मचारियों को निलंबित कर खानापूरी कर दी थी।

➡️ गोंडा (मई 2025): जिला अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार बच्चे को इलाज से पहले परिजनों से ‘सफाई शुल्क’ माँगा गया। इलाज में देरी हुई और बच्चे ने दम तोड़ दिया।

सरकारी दावों की पोल खोलती हकीकत

उत्तर प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर होने के दावे करती रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे ठीक उलट है। प्रदेश के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी, उपकरणों का अभाव और व्यवस्थागत भ्रष्टाचार आम बात हो गई है।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जरूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा पूरी तरह पुनर्गठित करने की आवश्यकता है। डॉक्टरों की नियुक्ति, संसाधनों की उपलब्धता और जवाबदेही तय किए बिना ऐसी घटनाएँ  रुकना मुश्किल हैं।

प्रशासन का जवाब

फतेहपुर घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) ने कहा कि "प्रथम दृष्टया डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है। संबंधित डॉक्टर से स्पष्टीकरण माँगा गया है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।"

फतेहपुर की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएँ  अभी भी आम जनता के लिए असुरक्षित और अव्यवस्थित हैं। सवाल है कि आखिर कब तक सिस्टम की लापरवाही से मासूम जानें जाती रहेंगी?



What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow