मौन का स्वाद | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता’

मौन में उतरने की यह कविता आत्मा की शांति और सत्य की झलक दिखाती है। कवि कहते हैं, मौन कोई उपलब्धि नहीं, बल्कि हमारे भीतर का स्वभाव है। जब मन स्थिर होता है, तब सत्य प्रकट होता है।

Nov 2, 2025 - 08:53
Nov 2, 2025 - 09:45
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मौन का स्वाद | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता’
मौन का स्वाद | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

मौन का स्वाद

 

कुछ देर चुपचाप बैठो,

शरीर को ढीला छोड़ दो,

फिर मन झील बन जाता है।

निर्मल,  

निश्चल,

गहराई में चमकता।

 

उस झील में दिखाई देता है

आकाश का प्रतिबिंब,

सत्य का प्रतिबिंब,

ईश्वर का प्रतिबिंब।

 

याद रखो,

शांति कोई उपलब्धि नहीं,

वह तो तुम्हारे अस्तित्व का स्वभाव है,

जो पहले से वहीं है।

 

मन जब शांत होता है,

तो तुम स्वयं को पा लेते हो।

तुम ईश्वर को पा लेते हो।

 

कुछ करना नहीं,

सिर्फ होना।

सिर्फ मौन होना।

सिर्फ साक्षी होना।

 

और उसी मौन में

खिलता है अनंत आनंद,

उतरती है असीम शांति,

झलकता है वही सत्य

जिसे ऋषि–मुनि खोजते आए हैं।

 

सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

संपर्क: 25-26, रोज मेरी लेन, हावड़ा - 711101,

मो.: 88 20 40 60 80 / 9681 10 50 70

ई-मेल : aapkasusheel@gmail.com

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जान्हवी पाण्डेय जान्हवी पाण्डेय, पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार में दर्शन स्नातक तृतीय सेमेस्टर की छात्रा हैं।