तुलना मत करो | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय 'निर्वाक' की कविता
हर व्यक्ति का खिलने का समय अलग होता है कोई जल्दी खिलता है, कोई देर से। असफलता से मत डरो और हर सुबह जीवन का आभार मानो। यह कविता जीवन को संतुलित दृष्टि से देखने की प्रेरणा देती है।

तुलना मत करो
तुलना मत करो,
हर फूल का मौसम अलग है,
कोई जल्दी खिलता है,
कोई देर से।
पर हर खिलावन की अपनी महक होती है।
असफलता से मत डरो,
क्योंकि वही सफलता की सीढ़ी है।
इतिहास गवाह है,
जो सबसे ज़्यादा हारे,
वही सबसे उज्ज्वल जले।
और सबसे बड़ा उपाय,
कृतज्ञता।
सुबह उठकर कहो धन्यवाद,
अपने होने का,
अपने पास जो कुछ है उसका।
सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’
संपर्क: 25-26, रोज मेरी लेन, हावड़ा - 711101, मो,: 88 20 40 60 80 / 9681 10 50 70
ई-मेल : aapkasusheel@gmail.com
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