बक्शो देवी: हिमाचल की 'उड़नपरी'
जब दुनिया चकाचौंध ट्रैक सूट, ब्रांडेड जूतों और स्पॉन्सरशिप के सहारे रेस जीतने की बात करती है, तब बक्शो देवी जैसी बेटियाँ नंगे पाँव दौड़कर स्वर्ण पदक जीतती हैं। वे न केवल ट्रैक पर अपनी गति से सभी को पीछे छोड़ती हैं, बल्कि समाज की बेड़ियों, आर्थिक तंगी और शारीरिक पीड़ा को भी पछाड़ देती हैं। सोशल मीडिया में वायरल हो रही बक्शो देवी के बारे में जानें...

बक्शो देवी, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले की एक युवा एथलीट हैं, जिन्होंने 2015 में इंदिरा स्टेडियम, ऊना में आयोजित 5000 मीटर दौड़ में नंगे पाँव भाग लेकर स्वर्ण पदक जीता था। उस समय उनके पास न तो उचित जूते थे और न ही खेल पोशाक, फिर भी उन्होंने अपने साहस और दृढ़ संकल्प से यह उपलब्धि हासिल की।
इसके बाद भी उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और सफलता प्राप्त की। उनकी कठिनाइयों और उपलब्धियों को देखते हुए, उन्हें 2016 में राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
संघर्ष और प्रेरणा
बक्शो देवी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। वे एक झोपड़ीनुमा घर में रहती थीं, जहाँ ठंड में ओढ़ने के लिए पर्याप्त कंबल और रजाई भी नहीं थीं। उनकी माँ ने कठिन परिस्थितियों में उनका पालन-पोषण किया और उनके सपनों को साकार करने में मदद की।
बक्शो देवी की कहानी एक सच्ची प्रेरणा है। उनकी उपलब्धियाँ और संघर्ष विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स द्वारा प्रमाणित हैं। उनका जीवन दर्शाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी दृढ़ संकल्प और मेहनत से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
What's Your Reaction?






