कॉन्स्टेबल से IPS तक: जब अपमान ने बनाया जज़्बा, उदय कृष्ण रेड्डी ने बैक-टू-बैक क्रैक किया UPSC एग्जाम
कॉन्स्टेबल से IPS बने उदय कृष्ण रेड्डी की कहानी जानिए, बचपन में माता-पिता को खोया, दादी ने सब्जी बेचकर पाला, और अपमान को बनाया अपनी सबसे बड़ी प्रेरणा। दो बार UPSC क्रैक कर दिखाया असली हौसला।

गरीबी, अपमान और संघर्ष से जूझते हुए आंध्र प्रदेश के उदय कृष्ण रेड्डी ने जो कर दिखाया, वह हर सपने देखने वाले युवा के लिए मिसाल है। बचपन में माता-पिता को खो दिया, दादी सब्जी बेचकर पाला, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। कॉन्स्टेबल की नौकरी में हुए अपमान ने उनके भीतर आग जला दी और वही आग उन्हें दो बार UPSC क्रैक करके IPS ऑफिसर बना गई।
कहते हैं, ज़िंदगी में कभी-कभी एक अपमान भी इंसान की तकदीर बदल देता है। आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गाँव के रहने वाले उदय कृष्ण रेड्डी की कहानी इसका जीता-जागता उदाहरण है।
बचपन में ही सिर से माता-पिता का साया उठ गया। पाँच साल की उम्र में माँ चली गईं, कुछ साल बाद पिता भी। घर में केवल दादी बचीं, जिन्होंने सब्जी बेचकर पोते को पाला। हालात इतने कठिन थे कि दादी का सपना था- “बस 10वीं तक पढ़ जाए तो बहुत है।” लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था।
डॉक्टर बनना चाहते थे उदय
उदय का सपना डॉक्टर बनने का था। उन्होंने मेडिकल लैब टेक्नीशियन की पढ़ाई भी की, मगर आर्थिक तंगी ने राह रोक दी। परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए उन्होंने पुलिस की नौकरी चुनी। साल 2013 में वे आंध्र प्रदेश पुलिस में कॉन्स्टेबल बन गए।
सब कुछ ठीक चल रहा था, पर एक दिन सब बदल गया
साल 2018 में, उनके सीनियर अधिकारी ने 60 पुलिसकर्मियों के सामने उनका अपमान किया। वह पल उदय की ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया। उन्होंने तय किया, अब सम्मान खुद कमाना है। अगले ही दिन नौकरी से इस्तीफा दे दिया और ठान लिया कि अब केवल UPSC ही मंज़िल है।
UPSC की तैयारी आसान न थी
तेलुगु माध्यम से पढ़े उदय के लिए अंग्रेज़ी में UPSC की तैयारी आसान नहीं थी। पर उन्होंने हार नहीं मानी NCERT की किताबों, ऑक्सफोर्ड के 3000 शब्दों और आत्मविश्वास को अपना साथी बनाया।
साल 2023 में पहली बार परीक्षा दी और 780वीं रैंक हासिल की। बहुतों के लिए यह सपना पूरा होने जैसा होता, पर उदय के लिए यह बस शुरुआत थी। उन्होंने फिर से तैयारी की और 2024 में 350वीं रैंक लाकर IPS कैडर हासिल किया।
आज IPS उदय कृष्ण रेड्डी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो मुश्किलों के बावजूद सपने देखने की हिम्मत रखते हैं। उनकी कहानी यही सिखाती है कि - “हार वही मानता है जो कोशिश छोड़ देता है। हौसला हो तो अपमान भी प्रेरणा बन सकता है।”
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