कानपुर वकील अखिलेश दुबे गिरोह पर SIT की बड़ी कार्रवाई
कानपुर के अधिवक्ता अखिलेश दुबे पर झूठे रेप केस में रंगदारी के आरोप। SIT जांच में पुलिस-KDA अफसरों की संलिप्तता, 7 FIR और 3 गिरफ्तारी।

कानपुर। कानपुर पुलिस ने ऑपरेशन महाकाल के तहत अधिवक्ता अखिलेश दुबे और उनकी सहयोगी लवी मिश्रा को अगस्त 2025 में गिरफ़्तार किया। दुबे पर आरोप है कि वे झूठे रेप और POCSO मामलों में लोगों को फँसाकर उनसे रंगदारी वसूलते थे। भाजपा पदाधिकारी रवि सतीजा के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म का केस जाँच में झूठा पाया गया, जिसके बाद यह पूरा मामला सामने आया।
SIT जाँच के बड़े खुलासे
पुलिस कमिश्नरेट कानपुर द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) ने जाँच में पाया कि दुबे के गिरोह में कुछ पुलिसकर्मियों और KDA अधिकारियों की भी संलिप्तता रही।
इन्हें तलब कर जवाब माँगा गया:
एसीपी संतोष सिंह
एसीपी ऋषिकांत शुक्ला
एसीपी विकास पांडेय
इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी
KDA PRO कश्यपकांत दुबे
महेंद्र सोलंकी
ब्लैक मनी और कंपनी का टर्नओवर
SIT की रिपोर्ट के अनुसार दुबे से जुड़ी कंपनी का अनुमानित टर्नओवर लगभग ₹100 करोड़ है। कंपनी में पुलिसकर्मियों के परिजनों के नाम से काला धन निवेश किए जाने के प्रमाण मिले हैं। इसी वजह से अब आर्थिक लेन-देन की गहराई से जांच की जा रही है।
FIR और गिरफ्तारियाँ
अब तक 7 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें से 5 मामलों में अखिलेश दुबे नामजद हैं।
गिरफ्तारियाँ:
अधिवक्ता अखिलेश दुबे
सहयोगी लवी मिश्रा
शैलेन्द्र यादव उर्फ़ ‘टोनू’
इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (CDR)
जाँच एजेंसियों ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) खँगाले। इनमें पुलिस और KDA अफसरों के साथ लगातार बातचीत के प्रमाण मिले, जिसके आधार पर पूछताछ तेज़ की गई।
राजनीतिक पहलू
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब मिश्रिख से भाजपा सांसद अशोक रावत ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर शिकायत की। मुख्यालय की स्वीकृति के बाद SIT गठित की गई और नोटिस जारी हुए।
फिलहाल पुलिस SIT इस पूरे नेटवर्क की परत-दर-परत जाँच कर रही है। अदालत में आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है और आगे की कार्रवाई जारी है।
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