हिंदी साहित्य के प्रख्यात आलोचक डॉ. शंभुनाथ के 77वें जन्मदिवस पर साहित्यिक जगत की बधाईयाँ
हिंदी साहित्य के प्रख्यात आलोचक, वागर्थ पत्रिका के संपादक और भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता के निदेशक डॉ. शंभुनाथ के 77वें जन्मदिवस पर ‘मुक्तांचल’ पत्रिका परिवार सहित समूचा साहित्यिक समाज उन्हें हार्दिक बधाई दे रहा है। डॉ. शंभुनाथ ने आलोचना, संस्कृति, नवजागरण और ज्ञानकोश निर्माण के क्षेत्र में ऐतिहासिक योगदान दिया है। उनके संपादन में वागर्थ जैसी प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका लगातार हिंदी साहित्य की नई पीढ़ी और वरिष्ठ रचनाकारों के बीच सेतु का कार्य कर रही है।

डॉ. शंभुनाथ, हिंदी साहित्य के दिग्गज आलोचक, वागर्थ पत्रिका के संपादक और भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता के निदेशक, 21 मई 2025 को 77 वर्ष के हो गए। उनके जन्मदिवस पर ‘मुक्तांचल’ पत्रिका परिवार सहित देशभर के साहित्यकारों, शिक्षकों, शोधार्थियों और पाठकों ने उन्हें बधाईयाँ दीं।
डॉ. शंभुनाथ ने ‘संस्कृति की उत्तरकथा’, ‘धर्म का दुखान्त’, ‘हिन्दी नवजागरण और संस्कृति’, ‘भारतीय अस्मिता और हिन्दी’, ‘प्रेमचन्द का हिन्दुस्तान’ जैसी पुस्तकों और ‘हिंदी साहित्य ज्ञानकोश’ के संपादन के माध्यम से हिंदी आलोचना, संस्कृति विमर्श और नवजागरण की चेतना को नई ऊँचाइयाँ दी हैं। वागर्थ पत्रिका के संपादक के रूप में वे हिंदी की श्रेष्ठ साहित्यिक पत्रिका को दिशा दे रहे हैं, जो 1995 से लगातार प्रकाशित हो रही है और वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ-साथ नई पीढ़ी के रचनाकारों को भी मंच देती है।
भारतीय भाषा परिषद के निदेशक के रूप में डॉ. शंभुनाथ ने भारतीय भाषाओं के बीच संवाद, अनुवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए कई राष्ट्रीय संगोष्ठियों, व्याख्यानों और सांस्कृतिक आयोजनों का सफल नेतृत्व किया है। परिषद द्वारा प्रकाशित वागर्थ पत्रिका और ‘हिंदी साहित्य ज्ञानकोश’ जैसी परियोजनाएँ उनके मार्गदर्शन में हिंदी साहित्य की बौद्धिक गरिमा का प्रतीक बनी हैं।
'मुक्तांचल' पत्रिका की संपादक डॉ. मीरा सिन्हा ने डॉ. शंभुनाथ के दीर्घ, स्वस्थ और रचनात्मक जीवन की कामना करते हुए उनके योगदान को भारतीय साहित्य की अमूल्य निधि बताया है।
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