मौलाना साहब को सलमान की राम वाली घड़ी से ऐतराज
डॉ. विजय बहादुर सिंह

मौलाना साहब को सलमान की राम वाली घड़ी से बहुत ऐतराज है। तब तो उन्हें महान शायर इकबाल से भी ऐतराज होगा जिन्होंने राम पर नज़्म लिखते हुए उन्हें इमामे -हिन्द कहा।इससे भी ज्यादा महान सम्राट अकबर पर होगा जिसने गद्दी पर बैठते ही रामसीय नाम से सिक्के जारी किए। इतना ही क्यों जब उनकी माँ हमीदा बानू हज पर जाने वाली थीं तब कविवर रहीम ---जो कई भाषाओं अरबी,फारसी, संस्कृत, तुर्की,अवधी, ब्रजी के जानकार और कवि थे-की देखरेख में रामायण (वाल्मीकि )की एक चित्रमाला बनवाकर उनको सौंपा कि वे किस देश और विरासत से जुड़ी हैं।
ये मौलाना, पंडे, पुरोहित और इसी तरह के सँकरे और असहज दिमाग के लोग सच्चे धर्म की शिक्षा देने के बजाय अपनी अपनी जजमानी को गुलाम बनाने में ही अपनी सफलता क्यों समझते हैं?
यह क्यों नहीं समझ पाते कि जीवन के लिए धर्म है, धर्म के लिए जीवन नहीं।
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