प्रो. गोपेश्वर सिंह और प्रो. दामोदर मिश्र को ‘प्रो. कल्याणमल लोढ़ा–लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान 2025’
सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन और भारतीय भाषा परिषद ने वर्ष 2025 का ‘प्रो. कल्याणमल लोढ़ा–लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान’ दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. गोपेश्वर सिंह और पश्चिम बंगाल हिंदी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति प्रो. दामोदर मिश्र को देने की घोषणा की। सम्मान समारोह 28 दिसंबर को कोलकाता में होगा।
कोलकाता, 8 नवंबर। सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन और भारतीय भाषा परिषद ने आज वर्ष 2025 के ‘प्रो. कल्याणमल लोढ़ा–लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान’ की घोषणा की। यह सम्मान इस वर्ष हिंदी के प्रख्यात आलोचक और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर प्रो. गोपेश्वर सिंह तथा पश्चिम बंगाल हिंदी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति और विद्यासागर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर प्रो. दामोदर मिश्र को प्रदान किया जाएगा।
सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के संयुक्त महासचिव प्रो. संजय जायसवाल ने बताया कि दोनों शिक्षकों को यह सम्मान कोलकाता में 26 दिसंबर से शुरू होने वाले 31वें हिंदी मेला के दौरान प्रदान किया जाएगा। सम्मान स्वरूप उन्हें ₹25,000 की नकद राशि, स्मृति चिह्न और मानपत्र भेंट किए जाएँगे।
यह सम्मान कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष और हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित प्रो. कल्याणमल लोढ़ा और उनकी धर्मपत्नी लिली लोढ़ा की स्मृति में, उनकी सुपुत्री श्रीमती सुषमा लोढ़ा के सौजन्य से प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। इस वर्ष की निर्णायक समिति के अध्यक्ष प्रसिद्ध शिक्षाविद और साहित्यकार डॉ. शंभुनाथ रहे।
प्रो. गोपेश्वर सिंह ने पटना विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय में दीर्घकाल तक अध्यापन किया है। उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं ‘आलोचना का नया पाठ’, ‘भक्ति आंदोलन के सामाजिक आधार’, ‘साहित्य से संवाद’ और ‘आलोचक का आत्मावलोकन’।
वहीं प्रो. दामोदर मिश्र ने बी.बी. कॉलेज, आसनसोल में लगभग 25 वर्ष और विद्यासागर विश्वविद्यालय, मिदनापुर में 13 वर्ष तक अध्यापन किया। वे पश्चिम बंगाल हिंदी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति रहे हैं। मिश्र ने हिंदी, ओड़िया और बांग्ला भाषाओं में विपुल अनुवाद कार्य किया है तथा कला और संस्कृति के क्षेत्र में उनकी गहरी सक्रियता रही है।
दोनों शिक्षकों को यह सम्मान ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक हिंदी साहित्य’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर, रविवार 28 दिसंबर 2025 को भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता में प्रदान किया जाएगा।
यह सम्मान न केवल शिक्षकों की बहुआयामी विद्वत्ता का सम्मान है, बल्कि भारतीय भाषाओं के अंतर्संबंध और ज्ञान परंपरा की निरंतरता का उत्सव भी है।
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