न्याय और पारदर्शिता के चौराहे पर खड़े शिक्षकों का भविष्य

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने 35,726 सहायक शिक्षकों की नई भर्ती की अधिसूचना जारी की है। हालांकि यह कदम पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया माना जा रहा है, लेकिन जिन शिक्षकों की नियुक्तियाँ रद्द की गई हैं, वे विरोध कर रहे हैं और नई प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रश्न उठा रहे हैं। इस संपादकीय में न्याय, पारदर्शिता, तथा प्रभावित शिक्षकों के मानवीय पक्ष पर गंभीर विमर्श करते हुए समाधान की संभावनाएँ प्रस्तुत की गई हैं।

Jun 2, 2025 - 10:40
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न्याय और पारदर्शिता के चौराहे पर खड़े शिक्षकों का भविष्य
आंदोलनकारी शिक्षक और बंगाल पुलिस जवान

 

पश्चिम बंगाल में शिक्षा-व्यवस्था एक बार पुनः बहस के केंद्र में है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने 35,726 सहायक शिक्षकों की नई भर्ती के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। यह निर्णय उस व्यापक भर्ती घोटाले की पृष्ठभूमि में आया है जिसमें शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) और अन्य भर्ती प्रक्रियाओं में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा था। लेकिन जहाँ यह अधिसूचना न्यायिक हस्तक्षेप के बाद पारदर्शिता की ओर एक कदम प्रतीत होती है, वहीं प्रदर्शन कर रहे हजारों अप्रशिक्षित या अयोग्य करार दिए गए पूर्व-नियुक्त शिक्षकों की व्यथा भी सामने आ रही है।

घोटाले की पृष्ठभूमि और अदालती हस्तक्षेप

2014 और 2016 की शिक्षक भर्ती प्रक्रियाएं बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोपों से घिरी थीं। चयनित उम्मीदवारों में कई ऐसे नाम सामने आए जिन्होंने या तो परीक्षा ही नहीं दी थी, या अंक तालिका में हेरफेर करके पद प्राप्त किए। इस पर सीबीआई जाँच बैठी और कई प्रभावशाली राजनेता एवं अफसर जाँच के घेरे में आए।

सुप्रीम कोर्ट ने मई 2024 में यह स्पष्ट कर दिया कि अयोग्य तरीके से नियुक्त कोई भी व्यक्ति सरकारी धन से वेतन पाने का अधिकारी नहीं है।इसी निर्णय के आलोक में नियुक्तियां रद्द हुईं और यह नई अधिसूचना सामने आई।

नई अधिसूचना और उस पर उठते सवाल

राज्य सरकार द्वारा निकाली गई 35,726 पदों की नई अधिसूचना को न्याय बहाली की दिशा में एक प्रयास माना जा सकता है। इसमें पुराने TET पास अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। लेकिन प्रदर्शनकारी शिक्षकों का आरोप है कि यह प्रक्रिया भी साफ और निष्पक्षनहीं है। उनका दावा है कि वे वर्षों से सेवा दे रहे हैं, और उन्हें बिना समुचित सुनवाई के बाहर कर देना अमानवीय और असंवेदनशील है।

यहाँ यह प्रश्न उठता है-क्या सेवा में आ चुके किसी शिक्षक को सिर्फ प्रक्रिया की त्रुटि के आधार पर हटाया जाना उचित है? क्या उन्हें दोषी साबित होने तक सेवा में रहने का अवसर नहीं मिलना चाहिए? या क्या राज्य अपने नागरिकों से यह अपेक्षा कर सकता है कि वे एक भ्रष्ट प्रणाली की कीमत खुद चुकाएं?

न्याय की पुनर्रचना या व्यवस्था का पुनर्चक्रण?

निश्चित रूप से, शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में पारदर्शिता सर्वोपरि है। लेकिन यदि सुधार की प्रक्रिया भी संशय और अविश्वास के घेरे में है, तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या यह बदलाव स्थायी और जनहितकारी है?

नई भर्ती प्रक्रिया की निगरानी यदि स्वतंत्र एजेंसियों के अधीन नहीं होती, तो एक और घोटाले की जमीन तैयार हो सकती है। यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि प्रक्रिया केवल पुराने दोषों का कवर-अपन हो, बल्कि शिक्षा तंत्र में एक स्थायी नैतिक अनुशासन स्थापित करे।

प्रभावित शिक्षकों का भविष्य: समाधान की ओर

जिन शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द हुई हैं, उनमें से अधिकांश वर्षों से कक्षा में पढ़ा रहे थे। वे अब न तो पुरानी नौकरी में हैं, न ही नई भर्ती में स्पष्ट प्राथमिकता की गारंटी है। ऐसे में उनके सामने आर्थिक असुरक्षा और मानसिक तनाव के अलावा सामाजिक अपमान भी है।

सरकार को चाहिए कि:

 वे शिक्षक जो वास्तविक रूप से परीक्षा देकर चुने गए थे, लेकिन प्रशासनिक चूकों के शिकार हुए, उन्हें प्राथमिकता दी जाए।

 जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पाँच वर्ष से अधिक रही है, उन्हें अनुभव के आधार पर अतिरिक्त वेटेज दिया जाए।

आगामी भर्ती प्रक्रिया में सभी दस्तावेजों की ऑनलाइन सार्वजनिक जाँच-सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

यह संकट केवल रोजगार का नहीं है, यह उस नैतिक अधिष्ठान का प्रश्न है जिस पर शिक्षा-व्यवस्था टिकी होती है। यदि योग्य शिक्षक न्याय न पाएं और अयोग्य राजनीतिक संरक्षण से बच जाएं, तो पीढ़ियाँ प्रभावित होंगी। सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशा दी है, वह यथोचित है-परंतु उसकी क्रियान्वयन प्रक्रिया को यथासंभव मानवीय, पारदर्शी और न्यायोचित बनाए बिना इस संकट का समाधान संभव नहीं।

पश्चिम बंगाल के शिक्षकों का भविष्य केवल सरकार की नीति पर नहीं, समाज की नैतिकता और जनता की जागरूकता पर भी निर्भर करेगा।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I